सनातन “जैन धर्म” भारत का स्वतंत्र धर्म है, किसी अन्य धर्म का हिस्सा नहीं….विश्व जैन संगठन

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जैन संगठन
राजेश जैन दद्दू
इंदौर
समंग्र जैन समाज को जानकारी देते हुए बताते हैं कि अंग्रेजों द्वारा वर्ष 1872 से आरम्भ की गयी भारत की प्रथम जनगणना से लेकर वर्ष 2011 तक हुई सभी जनगणना में जैन धर्म व समाज को भारत के प्रमुख सात धर्मों में स्वतंत्र अलग रूप से गिना गया है। विश्व जैन संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय जैन और प्रचारक राजेश जैन दद्दू भारत वर्षीय सकल जैन समाज से आह्वान करते हुए निवेदन है कि अगामी भारत सरकार द्वारा होने वाली जनगणना में धर्म के कॉलम में सिर्फ जैन ही लिखना है। दद्दू ने बताया कि
भारत सरकार के महारजिस्ट्रार कार्यालय द्वारा संगठन को उपलब्ध कराई गयी RTI जानकारी में जैन समाज जन को स्वतंत्र रूप से गिना गया है अंग्रेजों की ब्रिटिश सरकार द्वारा सन् 1909 के धार्मिक नक्शे में भी जैनों को स्वतंत्र रूप से दर्शाया गया है। विश्व जैन संगठन के मयंक जैन ने समाज जन से अनुरोध कर कहा कि
गौत्र के साथ जैन लिखने पर हमें एक करते हुए हमारी 45 लाख की भ्रामक जनगणना को बताया गया है *वास्तविक जैन समाज की लगभग 2 करोड़*जनसंख्या जेनो की है।
नाम के साथ मात्र गोत्र लिखा होने से जैन होने की वास्तविक जानकारी नही हो पाती, कई जैन गोत्र मोदी, शाह, सेठी, छाबड़ा बड़जात्या कासलीवाल गोधा पोरवाल..आदि गोत्र अजैनों के भी है। राजेश जैन दद्दू ने बताया कि जनगणना वाले फॉर्म के कॉलम न. 7 में साफ तौर पर धर्म के कॉलम में 6 धर्म कोड दिए है जिसमे जैन धर्म को कोड न. 6 दिया है।
वर्ष 2014 में राष्ट्रीय स्तर पर जैन समाज को संवैधानिक रूप से धार्मिक अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त होने के बाद जैन लिखने से लाभ ही है! इस बार की जनगणना में गर्व से कहो, लिखो हम जैन है।

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