पिछले कुछ वर्षो से समाज में विवाह समारोह में एक नया प्रचलन सामने आया हैं। शादी से पहले लड़का-लड़की किसी हिल स्टेशन, समुद्र के किनारे जाकर गलबहियां डाले वीडियो-फोटो शूट करवा रहे हैं। फिर उसे शादी के दिन रिसेप्शन पार्टी में सार्वजनिक रूप से प्रोजेक्टर पर प्रदर्शित किया जा रहा है। कुछ वीडियो ऐसे हैं, जिन्हें समाज के लोग देखकर शर्मिन्दगी महसूस करने लगे हैं। जैन समाज में भी यह कुसंस्कृति प्रवेश कर गयी है।प्री वेडींग वास्तव में समाज के अंदर एक नया प्रदूषण हैं।
समाज के लोगों की चिंता इस बात को लेकर है कि कहीं आने वाले दिनों में अश्लीलता चरम सीमा को न लांघ जाए। किसी रिसेप्शन पार्टी में प्री वेडिंग शूटिंग देखकर समाज के उन युवक-युवतियों का मन भी शूटिंग करवाने के लिए मचलने लगा है, जिनका निकट भविष्य में विवाह होने जा रहा है।
प्री वेडिंग तहत होने वाले दूल्हा – दुल्हन अपने परिवारजनों की सहमति से शादी से पूर्व फ़ोटो ग्राफर के एक समूह को अपने साथ में लेकर देश के अलग – अलग सैर सपाटो की जगह ,बड़ी होटलो,हेरिटेज बिल्डिंगों,समुन्द्री बीच आदि जाकर अलग – अलग और कम से कम परिधानों में एक दूसरे की बाहो में समाते हुए वीडियो शूटिंग करवाते हैं और फिर उसी वीडियो फ़ोटोग्राफी को शादी के दिन एक बड़ी सी स्क्रीन लगाकर जहाँ लड़की और लड़के के परिवार से जुड़े तमाम रिश्तेदार मौजूद होंते हैं की उपस्थिति में सार्वजनिक रूप से उस कपल को वह सब करते हुए दिखाया जाता हैं।
जिनकी अभी शादी भी नहीं हुई है और जिनको जीवन साथी बनने के साक्षी बनाने और उन्हें आशीर्वाद देने के लिये ही सगे संबंधियो और सामाजिक लोगो को वहा बुलाया जाता है, लेकिन यह क्या गेट के अंदर घुसते ही जो देखने को मिलता हैं वह शर्मसार करने वाला होता हैं। जिस भावी कपल को हम वहा आशीर्वाद देने पहुँचते हैं, वह कपल वहां पहले से ही एक दूसरे की बाहो में झूल रहे होंते हैं और सबसे बड़ी बात यह हैं की यह सब दोनों परिवारो की सहमति से होता है।
शादी से पहले ही सार्वजनिक कर देने से शादी की मर्यादा का हनन होता है। दो युवाओं का पवित्र बंधन अंतरंग और निजी संबंध होता है। शादी के पहले इसे सार्वजनिक करने से कभी-कभी अप्रिय स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। शादी से पहले अपनी निजी फोटो को समाज के सामने प्रदर्शित करना गलत है। पति-पत्नी को अपने संबंधों और आपसी प्यार को गुप्त रखना चाहिए।
शादी ब्याह में स्टेज पर कुछ ठुमके लगाना, लोग नृत्य के नाम पर कोरियोग्राफर की मदद लेकर अपने घर की इज्ज़त दांव पर लगाने में फक्र अनुभव कर रहें हैं! महिला संगीत के नाम पर विवाहों में न जाने हमें कहाँ जा रहे हैं, आधुनिकता की होड़ में अपनी सारी मर्यादाएं लांघ रहे हैं ।
आखिर हम कहाँ जा रहे हैं, क्यों अपनी सभ्यता और संस्कृति को कलंकित करने पर तुल गए हैं? आखिर इस प्रकार का यह चलन हमें कहाँ ले जाएगा? मेरा समाज के उन सभी सभ्रांतजनो से अनुरोध हैं कि समाज में ऐसी पश्चिमी संस्कृति को बढ़ावा देने वाले परिवारो से ऐसी प्रवृत्ति को बंद करने का अनुरोध करें, नियमावली बनाएं और कठोरता से पालन करें। अन्यथा ऐसी शादियों का सामाजिक रूप से खुलेआम बहिष्कार करें।
अन्यथा ऐसी संस्कृति से आगे चलकर समाज का इतना बड़ा नुकसान होंगा जिसकी भरपाई कई पीढ़ियों तक करना संभव नहीं हो सकेंगा। अभी अवसर है जागने का वरना फिर पछताने से कुछ नहीं होने वाला।
इस प्रदूषण को समाज से उखाड़ फेंकने के लिए संकल्पित होना होगा।