समाज के युवाओं में धर्म की अभिरुचि जगाने का एकमात्र श्रेय आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज को* *निर्यापक श्रमण श्री सुधा सागर

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*गौरेला*। *वेदचन्द जैन*।
  इस युग में पीछे ढकेले जा रहे जैन समाज के युवकों को अग्रिम पंक्ति पर लाकर परम् पूज्य संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने जैन धर्मावलंबियों पर महान उपकार किया है।
मुनि पुंगव निर्यापक श्रमण श्री सुधा सागर महाराज ने सागर जिला के केसली में बताया कि युवा वर्ग में वर्तमान में धर्म के प्रति जो रुचि दिख रही है उसका संपूर्ण श्रेय हमारे पूज्य गुरू संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज को है। मुनि श्री ने कहा कि इस युग में आगे बढ़ने का प्रयत्न करने वाले युवा वर्ग को समाज के प्रभाव शाली वरिष्ठ जन पीछे ढकेल देते थे। मुनि महाराजों को आहार दान देना हो या पूजन अभिषेक, धार्मिक अनुष्ठान हो वरिष्ठ श्रावक ही आगे रहते थे। युवा आगे आ ही नहीं पाता था।
   पचास वर्ष पूर्व आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने युवकों को अपनी आगम अनुरूप चर्या और वाणी से ऐसा प्रभावित किया कि पीछे खड़ा युवा धर्म के क्षेत्र में आगे आ गया। आचार्य श्री ने जैन धर्म में युवा क्रान्ति ला दी।
    बाल ब्रम्हचारी युवाओं को आचार्य महाराज ने दीक्षा देकर मोक्ष मार्ग पर आगे बढ़ाया, महाव्रती, व्रती बनाया और असंख्य युवाओं को संयम की दिशा प्रदान की।
मुनि पुंगव श्री सुधा सागर महाराज ने कहा कि पंचम काल में युवावर्ग में धार्मिक अभिरुचि का अभाव की धारणा को आचार्य श्री विद्यासागर महाराज की निर्दोष साधना,आगममयी वाणी और उनके सम्मोहक व्यक्तित्व ने असंख्य युवाओं को धर्म पालन के प्रति प्रेरणा और उत्साह से भर दिया। महाव्रत,व्रत और संयमी श्रावकों का संकल्प लेकर समाज के युवा सद्मार्ग पर चल रहे हैं। समाज पर ये आचार्य महाराज का महान उपकार है। युवाओं में धार्मिक अभिरुचि का संपूर्ण और एकमात्र श्रेय आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का है।
*वेदचन्द जैन*

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