सल्लेखना सेविका मिलन समारोह “अहोभाग्य” तीर्थ क्षेत्र, जैन बाग सहारनपुर में भव्यता पूर्वक सम्पन्न हुआ
“जैन गजट संवाद दाता पारस जैन “पार्श्वमणि” पत्रकार” को बनाया गया मुख्य अतिथि”
“संपूर्ण भारतवर्ष की समस्त जैन समाज के लिए सल्लेखना सेवा मण्डल की सेवा अनुकरणीय”
श्रमणाचार्य श्री 108 विमर्श सागर जी सागर जी महाराज
सहारनपुरः परम पूज्य भावलिंगी सन्त श्रमणाचार्य श्री 108 विमर्श सागर जी महामुनिराज ससंघ के पावन सानिध्य में श्री दि० जैन महिला सल्लेखना सेवा मंडल, सहारनपुर – मुख्य शाखा एवं 19 उपशाखा – के तत्वाधान में सल्लेखना सेविका मिलन समारोह ‘ अहोभाग्य तीर्थ क्षेत्र, जैन बाग सहारनपुर में भव्यता पूर्वक सम्पन्न हुआ। मुख्य अतिथि श्री पारस जैन ‘ “पार्श्वमणि” पत्रकार कोटा द्वारा जो विगत 35 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दे रहे हैं मंगलाचरण से समारोह का शुभारम्भ हुआ। विदित हो कि ये स्वरचित मंगलाचरण पाठ उन्होंने सुरीली आवाज में सुनाकर सभी को भाव विभोर कर दिया। कार्यक्रम का संजीव सटीक संचालन अपनी ओजस्वी वाणी में अध्यक्षा डा० रेणु जैन द्वारा तथा अतिथियों का स्वागत समाज के कोषाध्यक्ष श्री अरूण जैन द्वारा किया गया। शशी जैन , शोभा जैन, रीना जैन , वीना जैन , रेखा जैन ने अपने वक्तव्य में सल्लेखना पर एवं अनेक व्यक्तियों को अन्तिम समय में कराये गये त्याग पर प्रकाश डाला। समारोह गौरव जैन समाज के अध्यक्ष श्री राजेश कुमार जैन ने मुक्त कंठ से प्रशंसा करते हुए कहा कि समा ज की महिलाओं द्वारा धर्म प्रभावना का अकल्पनीय , अविश्वसनीय और अद्भुत कार्य किया जा रहा है । सल्लेखना पर श्री पारस जैन (पार्श्व मणि ) पत्रकार कोटा , सी . ए. अनिल जैन , उपाध्यक्ष श्री विपिन्न जैन ने भी सारगर्भित विचार प्रस्तुत किये। आचार्य श्री 108 विमर्श सागर जी महाराज ने अपनी अमृतमयी वाणी से सबको सींचित करते हुये कहा कि आज सल्लेखना सेवा मण्डल द्वारा जो सल्लेखना सेविका मिलन समारोह आयोजित किया गया है मैं समझता हूँ कि शायद ये भारत का पहला सल्लेखना सेवा मण्डल होगा । पूरे भारतवर्ष के लिये ये प्रेरणा दायक है। सल्लेखना सेवा मंडल से जुड़ी हुई इतनी माताएं व बहने जो जिनका प्राणान्त निश्चित है उनके लिये उनके मृत्यु काल में उनकी मृत्यु को संवारने का प्रयास करती हैं। जिनका जन्म है उनकी मृत्यु निश्चित है। यदि जैन धर्म में जन्म लिया है तो जैन धर्म का अन्तिम फल है सल्लेखना समाधि । आप लोग जैन धर्म के सिद्धान्तो को अपना रहे हो । यदि आप किसी जीव को णमोकार मन्त्र भी सुना देंगे तो वह आपके मरण में भी सहायक बन सकता है। जब जीव का अन्तिम समय आता है तो वह उल्टी सांस लेता है । ऐसे समय में सबसे पहले क्षमा याचना कराकर फिर जीव का पूर्ण रूप से त्याग कराना चाहिये जो दूसरों की समाधि कराता है वह स्वयं समाधि को प्राप्त होता है।जीवन में पता नहीं कौनसा जीव कब आपके अंत समय में सहयोगी बन जाए। अन्त में जिनागम पंथ जयवन्त हो ‘ की जय जयकार से आकाश गुंजायमान हो गया। जिनवाणी सुरक्षा एवं सज्जा अभियान की संस्थापिका डॉ रेणु जैन सहारनपुर ने संपूर्ण आयोजन को अपने अनूठे अंदाज में संचालन करके सफलता के शिखर पर पहुंचा दिया। गुरुदेव ने खूब खूब दोनों हाथों से इसकी सफलता के लिए मंगल मय आशीर्वाद सभी को प्रदान किया।
प्रस्तुति
राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी
पारस जैन “पार्श्वमणि” पत्रकार कोटा
9414764980