सही पुरुषार्थ से यस और गलत पुरुषार्थ से अपयश मिलता है – उपाध्याय सुदत्त सागर

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रामगढ़ राज. (मनोज जैन नायक) पुरुषार्थ सफलता की सीढ़ी है। किसी कार्य की सफलता में 90 प्रतिशत पुरुषार्थ कार्य करता है और 10 प्रतिशत भाग्य । यह परिक्रम एक सही मार्ग में किया जाता है और दूसरा विपरीत मार्ग में किया जाता है । सही मार्ग में किया गया श्रम सम्यक पुरुषार्थ कहा जाता हैं और दूसरा मिथ्यात्व पुरुषार्थ में है । गलत या विपरीत दिशा में चलने से मंजिल नहीं मिलती है बल्कि दूरी और बढ़ती चली जाती है । सही पुरुषार्थ से यश मिलता है और गलत पुरुषार्थ से अपयश । जैसे किसी ने घर में झाड़ू लगाकर कचरे को साफ किया और किसी ने घर में फैलाया तो पुरुषार्थ दोनों ने ही किया परंतु एक को यश मिलता है और दूसरे को अपयश । एक के गीत गाए जाते हैं तो दूसरे को गाली मिलती है । इसीलिए पुरुषार्थ सही दिशा में और अच्छे कार्य में होना चाहिए । उक्त उद्गार रामगढ़ राजस्थान में आचार्य समता सागर महाराज ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा । नववर्ष के अवसर पर उपाध्याय सुदत्त सागर जी महाराज ने कहा कि धन की पूजा करने वालों का भविष्य अंधकारमय होता है और धर्म की पूजा करने वालों का भविष्य उज्जवल होता है । रामगढ़ वासियों ने नववर्ष के अवसर पर भक्तामर महामंडल विधान और शांति नाथ विधान नगर में ही विराजमान आचार्य सुनील सागर जी की महाराज की शिष्या आर्यिका सुविज्ञ मति माताजी, क्षुल्लिका अजीतमति माताजी की प्रेरणा से किया गया ।पूज्य गुरुदेव आचार्य श्री समता सागर जी महाराज और उपाध्याय श्री सुदत्त सागर जी महाराज ससंघ के सानिध्य में 1100 वर्ष प्राचीन अतिशय क्षेत्र उपरगांव का जीर्णोधार पंचकल्याणक महावीर जयंती पर होने की संभावना है । समाज के अध्यक्ष रमेश जी तोरावत , अशोक जी जैन, वोरा पवन जी जैन , नगर गौरव ब्रह्मचारीनि उषा दीदी और रामगढ़ वासि चतुर्विध संघ की गुरु भक्ति कर आनंदित है।

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