सफलता के तीन सूत्र खुद से वादा,मेहनत ज्यादा ओर पक्का इरादा जैन संत अन्तर्मना आचार्य श्री108 प्रसन्न सागर जी महामुनिराज

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तरुणसागरम तीर्थ/कोडरमा-अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागरजी महाराज एवं उपाध्याय 10 पियूष सागरजी महाराज ससंघ तरुणसागरम तीर्थ पर वर्षायोग हेतु विराजमान हैं उनके सानिध्य में वहां विभिन्न धार्मिक
कार्यक्रम संपन्न हो रहें हैं उसी श्रृंखला में उपस्थित गुरु भक्तों को संबोधित करते हुए आचार्य श्री प्रसन्न सागरजी महाराज ने बताया कि
सफलता के तीन नियम
खुद से वादा,
मेहनत ज्यादा, और
पक्का इरादा ।
ये समाज, दुनिया और रिश्तेदार – तुम कुछ भी करो। यह कुछ ना कुछ जरूर कहेगी। कुछ करो तब भी कहेगी, ना करो तब भी कहेगी। बिना कहे ये समाज, दुनिया और रिश्तेदार नहीं रह सकते। इसलिए कब, कौन, क्या कह रहा है? यह देखने, सुनने और जानने की जरूरत नहीं है, ना इसमें अपना समय बरबाद करो। अपने विवेक से काम लो और काम करते चलो। कहने वालों की तरफ ध्यान ही मत दो। जीवन को आशा की दृष्टि से देखो। निराश, हताश मत होईये क्योंकि हर अंधेरी रात में चमकते हुये तारे और हर काले बादल में चमकती हुई बिजली का गोठा जड़ा है। गुलाब की झाड़ी में, कांठे मत गिनो, फूल गिनो। क्योंकि जो कांठे गिनने में रह जाते हैं, उनके लिये फूल भी कांठे हो जाते हैं। संसार में सुख से ज्यादा दुःख है। फूल से अधिक कांठे हैं। स्वर्ग से अधिक नरक है। सज्जन से ज्यादा दुर्जन है। समझदार और ज्ञानी तो वही है, जो दुःख में सुख खोज लेते हैं। दुःख को भी सुख में बदल लेते हैं। जो कभी मन और हिम्मत को हारने नहीं देते। निराशा को अपने पास फटकने भी नहीं देते।
कभी अपने आपको इतना कमज़ोर मत बनाओ कि कोई भी आपको तोड़ सके… बल्कि आप इतने मजबूत हो जाओ कि सामने वाला आपके अनसुने और इन्नोर से ही खुद टूट जाये…!!!संकलन कर्ता कोडरमा जैन राज अजमेरा,मनीष जैन सेठी

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