साधु-संत विश्व की धरोहर: जैन मुनि विशेषसागरजी

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सभी धर्मो में गुरु की महिमा का वर्णन किया गया है गीता ग्रंथ में गुरु शब्द को महामंत्र कहा गया है गुरु याने हितैषी, शुभ चिंतक, मार्ग दर्शक, उपकारक, कहा जाता है जिसके जीवन में गुर नहीं उसका जीवन शुरु नहीं, गुरु के बिना व्यक्ति मन का राजा हो जाता हम जो कह रहे वही सहि है, हम जो कर रहे नहीं सहि है उक्त उद्‌गार प.पू. वात्सल्य शिरोमणी श्रमण मुनि श्री १०८ विशेषसागर जी गुरुदेव ने डिग्रस (क) में धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए कहा।

पू. मुनिश्री ने आगे कहा महाराष्ट्र को संतों की भूमि कहा है, यहाँ कहावत है साधु संत येती घरा तोची दिवाली दशहरा | साधु-संत विश्व की धरोहर है, जिस समाज में साधु संतों का आदर-सत्कार होता है वहाँ हरियाली खुशहाली रहता है |दिगम्बर संत त्याग-तपस्या की साक्षात मुर्ति होते हैं, धन दौलत के त्यागी होते हैं, अपने पास पिच्छि- कमण्डल व आवश्यक शास्त्र ही रखते है, गर्मी में ए. सी. कुलर, पंखा आदि व सर्दी में रुम हिटर आदि का प्रयोग नहीं करते। दिन में एक बार ही कर पात्र में शुद्ध आहार लेते हैं, चौके में स्वाद का नहीं शुद्धि का ध्यान रखते है, संत स्वोपकार के साथ परोपकार की भावना रखते है, समाज में कैंची का नहीं सुई का कार्य करते है, समाज को जोड़ने की बात करते है, पंथवाद, संतवाद की नहीं आगम की बात करते है, पंशवाद-संतवाद व्यक्ति को संसार भ्रमण कराता आगमानुसार चलने वाला एक दिन संसार से पार होता है |

निर्ग्रंथ गुरु की महिमा का
वर्णन करते हुए पं. भूधरदास जी कहते है’ वे गुरु चरण जहाँ धरै जग में तीरथ जेह । प. पू. वात्सल्य शिरोमणी श्रमण मुनिश्री १०८ विशेषसागर जी गुरुदेव विगत १० वर्षों से (महाराष्ट्र) प्रांत में धर्म प्रभावना कर रहे है, गांव-गांव में जाकर समाज को जोड़ने का कार्य कर रहे है। मुनिश्री की मान्यता है नये मंदिर बनवाने की अपेक्षा प्राचीन जिर्ण-शीर्ष मंदिरों lका जिणो‌द्वार कराना श्रेष्ठ है । पू.मुनिश्री के प्रेरणा से महाराष्ट्र में सावदा, धामणगांव, सिंदखेड, पुसेगांव, रिसोड, मुलावा, अनसिंग, अकोला, मालेगांव, फैजपुर, देऊलघाट, हिंगणघाट, अंबड़ व डिग्रस में मंदिर का जिर्णोद्वार कार्य पूर्ण हुआ । एवं बोरगांव वसु में नये मंदिर का निर्माण हुआ, गांधी ग्राम व पुसेगांव में सर्वज्ञ तीर्थ का कार्य प्रगति पर है , गुरुओ के प्रसाद से दुर्लभ से दुर्लभ कार्य भी सुलभ हो जाता है |

डिग्रस जिला हिंगोली ( महा ) मे मंदिर का जिर्णोद्धार के पश्यात दिनांक १२ फरवरी से १४ फरवरी २०२५ तक श्री १००८ पार्श्वनाथ जिनबिंब, मानस्तंभ पंचकल्याणक प्रतिष्ठा मोहोत्सव व गुरु उपकार दिवस आयोजन किया गया है |

✍️विनोद रोकडे जैन मालेगांव प्रतिनिधी जैन गज़ट

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