नई दिल्लीः श्री दिगंबर जैन मंदिर ऋषभ विहार में 10 नवंबर को भगवान महावीर निर्वाणोत्सव के उपलक्ष्य में उनकी निर्वाण स्थली पावापुरी की भव्य रचना का शुभारंभ आचार्य श्री सुनील सागरजी के संघ-सान्निध्य में पूजन व शांतिधारा के साथ हुआ। रचना में भगवान के पांचों कल्याणक स्थल, नामों की सार्थकता, समोशरण, अलौकिक सरोवर, पहाड, चंदनबाला द्वारा आहार आदि दृश्य हूबहू दर्शाए गए। इसके दर्शन सुबह 8 से रात 8 तक 30 नवंबर तक होगें।
महिला मिलन लक्ष्मीनगर व फरीदाबाद द्वारा मंगलाचरण से शुरू धर्मसभा में आचार्य श्री ने कहा कि तीर्थंकरों के विहार से महामारी समाप्त होकर अदभुत शांति व्याप्त हो जाती है। एकमात्र अहिंसा ही सभी समस्याओं का समाधान है। गिरनारजी पर बोलते हुए आचार्य श्री ने कहा कि गलत बात का विरोध करना जरूरी है, हम अहिंसक हैं, कायर नही। अपने कर्त्तव्य पूरे न करना भी अपनी आत्मा की हिंसा है। हमें अपनी हिंसा भी कतई बर्दाश्त नही करनी। एकांतवाद से किसी का भला नही हो सकता। मैत्रीभाव से ही भला होगा। संसार के सभी सुख बाधाकारक हैं। वीतरागता में ही सच्चा सुख है। सामूहिक भोज में रात्रि भोजन का त्याग धर्म प्रभावना की दृष्टि से जरूरी है। समाज के अध्यक्ष सुनील जैन, चेयरमैन विजय जैन व मंत्री विपुल जैन ने सभी का स्वागत किया। इस अवसर पर जयपुर से प्रवर्तित भव्य पावापुरी-स्वर्ण रथ प्रवर्तन का शुभारंभ भी यहां किया गया।
प्रस्तुतिः रमेश चंद्र जैन एडवोकेट, नवभारत टाइम्स नई दिल्ली
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