नई दिल्लीः ज्ञनवृद्ध, तपोवृद्ध सिद्धांत चक्रवर्ती श्वेतपिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज के जन्म शताब्दी वर्ष समारोह के शुभारंभ पर कुंद-कुंद भारती में आचार्य श्री श्रुतसागरजी एवं अन्य संतों के सान्निध्य में 20 अप्रैल को आयोजित विशाल धर्मसभा में उनका गुणानुवाद करते हुए भावभीनी विनयांजलि अर्पित की गई। 22 अप्रैल 1925 को शेडवाल ( कर्नाटक ) में जन्में आचार्य श्री विद्यानंदजी का समाधिमरण 22 सितंबर 2019 को कुंदकुंद भारती में ही हुआ था। आचार्य श्रुतसागरजी ने उनके समाज व राष्ट्रसेवा के कार्य बताते हुए समाधिमरण के दिनों का स्मरण करते हुए कहा कि धर्म में आस्था जरूरी है, यही जीवन भर साथ रहती है और
कल्याण करती है। मुनि श्री अनुमान सागरजी ने कहा कि वे बडे अध्ययनशील थे, सौ किताब पढकर तब आगम प्रमाण से एक किताब लिखते थे। उन्होने विद्वानों का सम्मान व संतों का निर्बाध विचरण शुरू कराया।
मूडबिद्री ( कर्नाटक ) के भट्टारक चारूकीर्ति स्वामी जी ने कहा कि आचार्य श्री ने दक्षिण भारत को उत्तर भारत से जोडा। हमने अनुशासन उन्ही से सीखा है। उन्होने श्रवणबेलगोला, बावनगजा, गोम्मटगिरि, अहिंसा स्थल, फिरोजाबाद आदि के महामस्तकाभिषेक कराकर विश्वव्यापी धर्मप्रभावना की है।
जम्बूद्वीप तीर्थक्षेत्र हस्तिनापुर के स्वामी श्री रवींद्रकीर्ति जी ने अयोध्या में विराजमान वयोवृद्ध परम तपस्विनी गणिनी आर्यिका ज्ञानमती माता जी की विनयांजलि प्रस्तुत करते हुए जंबूद्वीप और मांगीतुंगी के प्रेरक संस्मरण सुनाते हुए उन्हे महान धर्म प्रभावक संत बताया। कंबदहल्ली ( कर्नाटक ) के भट्टारक स्वामी भानुकीर्ति जी ने संस्कृत में आचार्य श्री की तपस्या का गुणानुवाद करते हुए उन्हे नमन किया। तिजारा के भट्टारक श्री सौरभसेन जी ने आचार्य श्री की बद्रीनाथ यात्रा का वर्णन किया और उन्हे ज्ञान का भंडार बताते हुए कहा कि उनके जैसी समाधि नही देखी। सभी भट्टारकों को सम्मानित किया गया।
विधायक सतीश उपाध्याय ने आचार्य श्री के योगदान का स्मरण करते हुए विनयांजलि अर्पित की। कुंदकुंद भारती के अध्यक्ष सतीश जैन, मंत्री अनिल पारसदास जैन ने बताया कि यह शताब्दी समारोह एक वर्ष तक चलेगा। जैन समाज दिल्ली के अध्यक्ष चक्रेश जैन, संघपति राजेंद्र जैन, लाल मंदिर के प्रबंधक पुनीत जैन आदि ने भी विनयांजलि अर्पित की। सुश्री तानिया जैन ने शताब्दी समारोह स्मृति सिक्के का विमोचन कराया। दीप प्रज्वलन, चित्र अनावरण, ध्वजारोहण आदि के बाद डा. वीरसागर जैन ने मंगला चरण किया और नए लोकार्पित किए गए तीन ग्रंथों सन्मति सूत्र, प्राकृत विद्या और विद्यानंद निबन्धावली का परिचय दिया। कुशलतापूर्वक संचालन विवेक जैन ने किया। समर्पित कार्यकर्ता सुरेश राजपूत को कुंद कुंद भारती निष्ठा पुरस्कार प्रदान किया गया। समारोह में डा. जयकुमार उपाध्येय, नवभारत टाइम्स के संपादक आशीष पांडे, अनिल जैन ( कमल मंदिर ), नरेश जैन कांसल, बिजेंद्र जैन, रमेश जैन एडवोकेट, जिनेंद्र जैन , स्वराज जैन ने भी भाग लिया। आरंभ में यहां आचार्य विद्यानंद तपोवन में चरण छतरी पर अभिषेक, पाद प्रक्षालन के बाद श्री भक्तामर महामंडल विधान किया गया। स्याद्वाद युवा क्लब के सैंकडों युवाओं ने भी चरणाभिषेक किया। अलका जैन ने आचार्य श्री के जीवन पर प्रकाश डाला।
प्रेषकः रमेश चंद्र जैन एडवोकेट नवभारत टाइम्स नई दिल्ली