रेक्टल प्रोलेप्स यानी कि शरीर कि एक ऐसी स्थिति जब हमारा गुदा यानी कि मलद्वार बाहर आने लगता है। इस बीमारी का नाम सुन कर आपको अजीब लग रहा होगा पर असल में ये गंभीर बीमारी है। दरअसल, आपका मलाशय आपके कॉलन का अंतिम भाग है जहां, मल निकलता है। रेक्टल प्रोलैप्स में मलाशय का ये हिस्सा खिसक कर बाहर निकल आता है। प्रोलेप्स, सबसे पहले मल त्याग के बाद ही होता है। हालांकि, सामान्य स्थितियों में मलाशय का फैला हुआ हिस्सा फिर अपने आप गुदा नहर से वापस खिसक सकता है। पर कई बार ये स्थिति गंभीर हो सकती है और ये ज्यादा बाहर खिसक सकता है, जिससे दूसरी परेशानियां पैदा हो सकती हैं।
कारण
रेक्टल प्रोलेप्स अक्सर कमजोर मांसपेशियों के कारण होता है। होता ये है कि कुछ लोगों में समय के साथ मलाशय को सहारा देने वाली मांसपेशियों के कमजोर होने लगती है। इस दौरान मलाशय बड़ी आंत का अंतिम भाग, पेल्विक एरिया के भीतर अपनी सामान्य स्थिति से गिर जाता है और गुदा से बाहर निकल जाता है। हालांकि, ये कई प्रकार का होता है। जैसे कि कुछ स्थितियों में पूरा मलाशय गुदा से बाहर निकल आता है। तो, कभी गुदा अस्तर का केवल एक हिस्सा ही बाहर निकला है। तो, कुछ आंतरिक प्रोलैप्स की स्थितियों में मलाशय नीचे गिरना शुरू हो जाता है लेकिन गुदा को बाहर नहीं निकालता है। रेक्टल प्रोलेप्स के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं
1. 50 साल से अधिक उम्र की महिलाओं में
महिलाओं में 50 की उम्र के बाद अक्सर ये समस्या देखी जाती है। दरअसल, उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं का पेल्विक एरिया कमजोर हो जाता है और आस-पास की मांसपेशियां और टिशूज ढीली पड़ने लगती हैं। ऐसे में यूटरेस प्रोलेप्स की तरह ही उनमें रेक्टल प्रोलेप्स होने का खतरा ज्यादा होता है।
2. बुढ़ापे में
उम्र बढ़ने के साथ शरीर की मांसपेशियां और लिगामेंट्स कमजोर होने लगते हैं। ऐसे में मलाशय और गुदा में मांसपेशियां और लिगामेंट्स उम्र के साथ स्वाभाविक रूप से कमजोर हो जाती हैं और ढीली होने लगती है। इसी कारण से मलाशय और गुदा नीचे आने लगती है और मेडिकल टर्म में इसे रेक्टल प्रोलेप्स कहा जाता है।
3. बार-बार या लंबे समय तक कब्ज होने पर
कब्ज होने पर लोग अपने मल त्याग के लिए परेशान हो जाते हैं। ऐसे में लोग रेक्टम पर ज्यादा जोर डालते हैं और इससे मांसपेशियों और टिशूज को नुकसान पहुंचता है। पर परेशानी असल में तब शुरू होती है जब आपको ये समस्या लंबे समय तक रहने लगती है। आप फिर बार-बार यही करने लगते हैं और यही रेक्टल प्रोलेप्स का कारण बनता है।
4. पेल्विक एरिया से जुड़ी परेशानियों में
पेल्विक एरिया से जुड़ी परेशानियों में जैसे कि रीढ़ की हड्डी में चोट, पीठ की चोट और कई बार पेल्विक एरिया में चोट के कारण भी रेक्टल प्रोलेप्स हो सकता है। इसके अलावा पेल्विक एरिया और गुदा भाग की नसों को नुकसान होने पर भी रेक्टल प्रोलेप्स हो सकता है। इसके अलावा कई बार मलाशय और गुदा की मांसपेशियों को सिकुड़ने की क्षमता को नियंत्रित करने वाली नसें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, तो रेक्टल प्रोलेप्स हो सकता है। खास कर गर्भावस्था, मुश्किल वजाइनल डिलीवरी, गुदा दबाने वाले किसी भी स्थिति में।
5. बीमारियों के कारण
कुछ बीमारियों के होने पर भी लोगों को रेक्टल प्रोलेप्स हो सकता है। जैसे कि डायबिटीज में, सिस्टिक फाइब्रोसिस, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज और हिस्टेरेक्टॉमी। इसी तरह आंतों में इंफेक्शन होने पर भी रेक्टल प्रोलेप्स की स्थिति हो सकती है।
लक्षण-
रेक्टल प्रोलेप्स के लक्षण इसके कारणों के आधार पर हर व्यक्ति में अलग हो सकते हैं। पर कुछ चीजें हर किसी में देखी जा सकती हैं। जैसे कि
-सबसे पहले तो गुदा बाहर की ओर निकला हुआ और उसमें लाल रंग का एक उभार महसूस हो सकता है। यह मल त्याग के दौरान या बाद में भी हो सकता।
-खड़े होने और चलने की सामान्य स्थिति में आपको थोड़ा बदलाव और दर्द महसूस हो सकता है।
-गुदा और मलाशय में दर्द
-मलाशय की अंदरूनी परत से ब्लीडिंग होना।
-गुदा से बलगम, खून और मल का रिसाव होना।
-खांसने, छींकने या उठने के बाद गुदा से उभार महसूस होना
-मल त्याग शुरू करने या समाप्त करने के लिए दबाव डालना
-पेट दर्द होना
-बार-बार कब्ज महसूस होना
-गुदा में खुजली होना
जांच और इलाज
रेक्टल प्रोलेप्स को शुरुआत में लोग समझ नहीं पाते और इसलिए ये धीमे-धीमे गंभीर स्थिति का रूप लेने लगती है। ऐसे में आपको इसके लक्षण महसूस होते ही उन्हें अपने डॉक्टर से इसकी जांच करवानी चाहिए। रेक्टल प्रोलेप्स की जांच के लिए पहले तो डॉक्टर लक्षणों को जानने के बाद डेफेकोग्राम करते हैं, जिसमें मल त्याग के दौरान एक्स-रे लिया जाता है। उसके एनोरेक्टल मैनोमेट्री चेकअप करते हैं जिसमें कि एक दबाव मापने वाली ट्यूब को मलाशय में रखा जाता है। ये यह मापने के लिए किया जाता है कि मल त्याग को नियंत्रित करने वाली मांसपेशियां कितनी अच्छी तरह काम कर रही हैं। कोलोनोस्कोपी के दौरान कैमरे के साथ एक लचीली ट्यूब मलाशय के अंदर रखी जाती है और डॉक्टर साथ में इसे देखते रहते हैं। इसके अलावा एमआरआई की जाती है और विशेष मूत्र संबंधी या स्त्री रोग संबंधी जांच की जाती है।
डॉक्टर इस दौरान प्लेविक एरिया के बाकी हिस्सों की भी जांच करते हैं और इस बात पर खास ध्यान देते हैं कि कहीं ये हिस्सा कमजोर तो नहीं हो गया। यह टेस्ट तब भी किया जाता है जब किसी महिला को रेक्टल प्रोलेप्स और यूटेराइन प्रोलेप्स होता है। इसके रेक्टल प्रोलेप्स का इलाज किया जाता है जिसमें कि आपके लक्षणों के आधार पर और स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार दवाइयां दी जाती है। इलाज अक्सर कब्ज और तनाव को रोकने के लिए कदमों से शुरू होता है। अगर स्थिति गंभीर होती है तो डॉक्टर सर्जरी भी कर सकते हैं।
रेक्टल प्रोलेप्स से वैसे तो बचाव ही बेहतर उपाय) है। इसलिए आपको सबसे पहले को कब्ज से बचना चाहिए। इसके लिए खूब पानी पिएं और फाइबर से भरपूर फूड्स खाएं। उसके बाद रेगुलर एक्सरसाइज करें और महिलाएं खास कर कि पेल्विक एरिया को मजबूत बनाने वाली एक्सरसाइज करें। उम्र बढ़ने के साथ अपने लाइफस्टाइल में सही डाइट और एक्सरसाइज को शामिल करें। अगर आपको डायबिटीज और डिमेंशिया रोग हो तो सही तरीके से अपना इलाज करवाएं और जैसे ही रेक्टल प्रोलेप्स के लक्षण महसूस हो अपने डॉक्टर से संपर्क करें और इस स्थिति को नजरअंदाज ना करें।
आयुर्वेदानुसार औषधि चिकित्सा
भेषज चिकित्सा की वकालत तब की जाती है जब लक्षण हल्के और कम जटिल होते हैं और 1 वर्ष से कम समय में शुरू होते हैं और दोष कम खराब होते हैं। बुनियादी रूढ़िवादी आयुर्वेदिक प्रबंधन का मुख्य उद्देश्य अग्नि दीपन- पाचन (पाचन में सुधार), वात अनुलोमन (मल त्याग को शांत करना), रक्त शोधन (रक्त शोधक) – स्तंभन चिकित्सा (हेमोस्टैटिक दवाएं) और मल- सारक चिकित्सा (रेचक) है।
उपचार की पद्धति इस प्रकार निर्धारित की जा सकती है-
1) कांकायन गुटि + त्रिफला गुग्गुलु + आरोग्यवर्धिनी वटी – प्रत्येक 2 गोली। दिन में 3 बार भोजन के बाद गुनगुने पानी के साथ।
2) अभयारिष्ट – 4 चम्मच समान मात्रा में पानी के साथ 2 बार भोजन के बाद।
3) अमृतभल्लातक अवलेह – 1 चम्मच रोज सुबह गुनगुने पानी के साथ।
4) गंधर्व हरितकी चूर्ण – 1 चम्मच रात को सोते समय गर्म पानी के साथ।
विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104 पेसिफिक ब्लू ,नियर डी मार्ट, होशंगाबाद रोड, भोपाल 462026 मोबाइल ०९४२५००६७५३
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