राष्ट्रीय गणित दिवस पर परिचर्चा: जैन साहित्य में मापन पद्धतियों का महत्व

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राष्ट्रीय गणित दिवस पर परिचर्चा: जैन साहित्य में मापन पद्धतियों का महत्व

देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर के प्राचीन भारतीय गणित केंद्र द्वारा आयोजित पैनल चर्चा में कुलगुरु प्रो. राकेश सिंघई ने कहा कि जैन साहित्य में मापन की विभिन्न पद्धतियों की विस्तृत चर्चा है। उन्होंने कहा कि जैन साहित्य में 9 प्रकार के अनन्त बताए गए हैं, जो वर्तमान में ज्ञात अनन्त से भिन्न हैं।

प्रो. सिंघई ने कहा कि आत्मा को कोई न देख पाया है और न ही माप पाया है, लेकिन जैन साहित्य में उपलब्ध मेजरमेंट के विविध रूपों का अध्ययन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जैन साहित्य में लौकिक गणित और अलौकिक गणित दोनों में मापन पद्धतियों का महत्व है।

पूर्व कुलगुरु प्रो. रेनु जैन ने कहा कि जैन साहित्य में जीव और अजीव द्रव्यों का विस्तृत विवेचन है। उन्होंने कहा कि गोम्मटसार जीवकाण्ड में जीव का वर्णन है, जबकि अजीव के अंतर्गत पुद्गल, धर्म, अधर्म, आकाश और काल आते हैं।

माइक्रोसॉफ्ट के इंजीनियर श्री प्रकाश छाबड़ा ने कर्म के जीव के साथ बंधन की प्रक्रिया और उसके साथ रहने की समयावधि की चर्चा की। उन्होंने कहा कि शलाकात्रयनिष्ठापन की रीति से विशाल संख्याओं और उससे बड़ी संख्यायें उपमाओं के माध्यम से बताई गई हैं।

SGITS के प्रो. नीरज कुमार जैन ने कहा कि कर्म सिद्धांत में द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव, उनके अनुमाप की अवधारणा और इसकी सूक्ष्मता और विशाल असंख्यात और अनंत मय इकाइयों की चर्चा की।

जैन दर्शन और संस्कृत के विद्वान डॉ. पंकज जैन शास्त्री ने कहा कि जैनाचार्यों द्वारा वर्णित अलौकिक गणित तो असाधारण और अकल्पनीय है। उन्होंने इसके अध्यात्मिक और न्यायायिक पक्ष को उद्घाटित किया।
राजेश जैन दद्दू
इंदौर
निदेशक प्रो. अनुपम जैन ने कहा कि जैन गणित का विकास मुख्यतः लोक रचना को समझने और कर्म सिद्धांत की व्याख्या हेतु हुआ है। उन्होंने कहा कि लोक रचना के गणित पर पर्याप्त अध्ययन हुआ है, किन्तु कर्म सिद्धांत के गणित की जटिलता और दार्शनिक शब्दावली से गणित इतिहासज्ञों की अनभिज्ञता के कारण नहीं हो सका है। प्रोफेसर अशोक जेतावत ने भी परि चर्चा में विदेशी विश्व विद्यालयों में अलोकिक गणित पर होने वाले कार्य की स्थिति की जानकारी दी। विभागाध्यक्ष प्रोफेसर टोकेकर ने वक्ताओं का स्वागत किया कुलगुरु प्रोफेसर राकेश सिंघई ने विद्वानों को डॉ अनुपम जैन द्वारा संपादित एवं केंद्र द्वारा प्रकाशित भारतीय ज्ञान परंपरा एवं गणित पुस्तक की प्रति भेंट की।
धर्म समाज प्रचारक राजेश जैन दद्दू ने बताया कि परिचर्चा के पूर्व महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन का परिचय दिया गया। कार्यक्रम में प्रोफेसर अशोक शर्मा, प्रोफेसर तनवानी, प्रोफेसर प्रीति सिंह, डॉक्टर वंदित हेड़ाऊ, डॉक्टर शिशिर शांडिल्य, प्रोफेसर यामिनी, डॉक्टर प्रतिभा शर्मा, प्रोफेसर चंदन गुप्ता, डॉक्टर पांचाल, एवं डॉक्टर अंगद ओझा आदि अनेकों छात्र भी उपस्थित थे।

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