राष्ट्र‌योगी का राष्ट्र के नाम संदेश- चक्रवर्ती भरत का भारत समृद्ध रहे- भावलिंगी संत

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( सोनल जैन की रिपोर्ट ) श्री दिगम्बर जैन मंदिर कृष्णा नगर दिल्ली में परम पूज्य जिनागम पंथ – प्रवर्तक भावलिंगी संत श्रमणाचार्य श्री 108 विमर्श सागर जी महामुनिराज के विशाल चतुर्विध संघ का भव्य चातुर्मास सम्पन्न हो रहा है। स्वतंत्रता दिवस के पावन पर्व पर पूज्य आचार्य श्री विशेष प्रवचन रखा गया। देशभक्ति से मीत प्रीत मंगल गीतों से धर्मसभा का शुभारंभ हुआ । आचार्य श्री विरागसागर जी के पावन चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं गुरुपूजन कर आचार्य भगवन् से धर्माप्रदेश के लिये निवेदन किया गया।
आचार्य प्रवर ने अपने धर्मोप्रदेश में राष्ट्र के नाम अपना संदेश प्रेषित करते हुए कहा मैं चाहता हूँ प्रथम तीर्थकर ऋषभदेव के पुत्र चक्रवर्ती भरत का यह भारत देश सदा खुशहाल, सम्पन्न और समृद्ध रहे। • भारत देश में भौतिक समृद्धि के साथ माध्यामिक समृद्धि का भी सदा स्वागत ही । • भारत देश का हर नोजवान हिंसा को छोड़ अहिंसा में विश्वास रखे और विश्वभर में अहिंसा की अलख जगाये।
* भारत की नारी शक्ति सीता, अंजना, चंदनवाला की आदर्श मानकर आगे बढ़े जिससे नारी, स्वाभिमान के साथ सम्मान पूर्वक जीना सीख सके। • भारत देश में कभी भ्रूण हत्या न हो। कन्या भ्रूणहत्या विकलांग चिंतन की उपज है, जो सर्वथा अनैतिक है, साथ ही ब्रह्म हत्या की दोषी।• भारत देश की युवाशक्ति नशीनें चीजें गुटखा, शराब, सिगरेट ड्रग्स तथा व्यसनों से दूर शाकाहार, योग तथा मातापिता की सेवा कको कर्तव्य सममें। • भारत देश का प्रत्येक वर्ग साधु, शिक्षक, राजनेता, सैनिक, पुलिस, छात्र- छात्राएँ एवं सामाजिक संगठन सभी कर्तव्य निष्ठ बने और अपनी मयशि में रहते हुये कर्तव्य पालन करें।
भारत देश का नागरिक समृद्ध बने। शादी में धन का अपव्यय न करें शादी में लाखो का खर्च, किसी चिकित्सा, शिक्षा, सामाजिक-धार्मिक क्षेत्र में लगाकर खुशियों चिर स्थायी करें। प्रवचन के उपरान्त देशभक्ति से जुड़ी अनेक श्रमिकाये प्रस्तुत की भी आज के श्रावक श्रेष्ठी श्री अरिहंत जैन परिवार भी प्राप्त हुआ

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