राष्ट्र व धर्म की रक्षा सर्वोपरि – आचार्य अतिवीर मुनि

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परम पूज्य आचार्य श्री 108 अतिवीर जी मुनिराज ने श्री महावीर दिगम्बर जैन मन्दिर, अशोक विहार फेज़-1 में दिनांक 19 अगस्त 2024 को वात्सल्य पर्व रक्षाबंधन के अवसर‌ पर धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि जब भी सम्यकदर्शन के वात्सल्य अंग की चर्चा करते हैं तो आज की कथा का उल्लेख अवश्य होता है| हस्तिनापुर नगरी में अकम्पनाचार्य आदि 700 मुनिराजों की रक्षा हेतु विष्णु कुमार मुनि ने अपने मुनि पद का त्याग कर वात्सल्य भावना का सशक्त उदाहरण प्रस्तुत किया।
श्रावकों के लिए साधुओं व साधर्मी की रक्षा करना आवश्यक है। वर्तमान में यदि किसी साधु पर कोई संकट आ जाए तो कोई भी व्यक्ति उसके निवारण के लिए आगे नहीं आता| परन्तु चर्या में कोई कमी हो तो हजारों लोग टोकने के लिए खड़े हो जाते हैं| रक्षाबंधन पर्व मनाने की सार्थकता तभी होगी जब सभी लोग अपने साधर्मीजनों की रक्षा का संकल्प लेंगे।
आचार्य श्री ने आगे कहा कि एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण तभी संभव है जब वहां का प्रत्येक नागरिक समर्पण की भावना से ओतप्रोत होगा| राष्ट्र व धर्म की रक्षा करना सभी श्रावकों का परम कर्त्तव्य है| वात्सल्य का अर्थ काफी विस्तृत है| आज हर तरफ हिंसा का तांडव चल रहा है| जगह-जगह आधुनिक बूचडखाने खुलते जा रहे हैं| शायद हमने वात्सल्य को केवल इंसानों तक ही सीमित कर दिया है| परन्तु वात्सल्य तो प्राणी-मात्र के प्रति होना चाहिए|
जैन समाज के समक्ष आज एक और चुनौती खड़ी है| हमारे पावन तीर्थ आज धीरे-धीरे हमारे हाथों से छूट रहे हैं| परन्तु अफ़सोस हमारी जैन समाज निष्क्रिय होकर हाथ पर हाथ रखे बैठी है| अहिंसा का चोला ओढ़कर हम लोग धीरे-धीरे कायर बन गए| रक्षाबंधन का यह पर्व हमें तीर्थ संरक्षण के लिए भी प्रेरित करता है| इस अवसर पर समाज की महिलाओं व बालिकाओं ने राखी सजाओ प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर आकर्षक राखियां प्रस्तुत की जिसके पश्चात सभी प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया।

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