रजवांस में राष्ट्रीय विद्वत्संगोष्ठी सम्पन्न

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रजवांस।। अखिल भारतीयवर्षीय दिगम्बर जैन शािस्त्रपरिषद् द्वारा श्री दिगम्बर जैन मंदिर रजवांस में स्व. श्री अशोक कुमार जैन की पुण्यस्मृति में राष्ट्रीय विद्वत्संगोष्ठी का आयोजन दिनांक 24 सितम्बर से 25 सितम्बर 2024 को किया गया। यह आचार्यश्री गणिनी आर्यिका लक्ष्मीभूषण माताजी के सान्निध्य में सम्पन्न हुआ। बा.ब्र. रिम्मी दीदी ने संगोष्ठी का मार्गदर्शन किया और पंडितश्री सनत विनोद कुमार जैन रजवांस द्वारा निर्देशन किया गया। संगोष्ठी का मुख्य  पंडितश्री दौलतरामजी द्वारा विरचित छहढाला ग्रन्थ के विविध आयाम रहा। इस संगोष्ठी में देशभर से 20 विद्वानों को आमंत्रित किया गया था। जिन्होंने अपने शोधालेख प्रस्तुत किए।  संगोष्ठी के दौरान दो दिवसों में विद्वानों द्वारा पुरातत्व अवलोकन एवं अन्वेषण के लिए भी दो यात्राएं की गई। प्रथम दिवस 52 एकड़ में फैला हुआ धमौनी का किला देखा। जिसके चारों 12 जैन मंदिर होने के प्रमाण हैं। परंतु हम लोग सिर्फ एक ही जैन मंदिर को देख पाए। किले तक पहुंचने का मार्ग भी अत्यंत दुर्गम था। द्वितीय दिवस हम लोग एतिहासिक क्षेत्र पिडरुआजी के दर्शनार्थ पहुँचे और पुरातात्विक स्थल मदनपुर भी पहुंचे। जहाँ पहाड़ी पर जिनालय बने हुए हैं। जंगल में भी दो जिनालय हैं। जिसमें एक का नाम मोदीमढ है। इस यात्रा में विद्वानों का बहुत बड़ा समूह साथ में गया था। सम्पूर्ण संगोष्ठी का पुण्यार्जन का सौभाग्य श्रीमान् संजय जैन,  जिनेन्द्र जैन,  अरविंद्र  जैन,  सचिन जैन  समस्त चंदेरिया परिवार  रजवांस प्राप्त हुआ। संगोष्ठी का संयोजन डॉ. आशीष जैन आचार्य शाहगढ़ द्वारा किया गया।

उद्घाटन – उद्घाटन सत्र 24.09.2024, प्रातः 8 बजे से प्रारंभ किया गया। इसमें सर्वप्रथम  शास्त्रीय मंगलाचरण पंडित श्री सनत कुमार जैन रजवास द्वारा प्रस्तुत किया गया। तत्पश्चात् दीप प्रज्जलन संजय जैन,  जिनेन्द्र जैन,  अरविंद्र  जैन,  सचिन जैन  समस्त चंदेरिया परिवार  रजवांस द्वारा किया गया। सत्र की अध्यक्षता पंडित श्री विनोद कुमार जैन रजवास और सत्र  संचालन  डॉ आशीष जैन आचार्य सागर द्वारा किया गया। तत्पश्चात् संगोष्ठी की आयोजना की समस्त जानकारियाँ उपिस्थत सकल समाज को प्रदान की गई। इसके बाद आलेख वाचन का क्रम प्रारंभ किया गया। जिसमें प्रथम आलेख  पंडित श्री पवन जैन शास्त्री दीवान सागर ने तिर्यंचगति के दु:खों का प्रमाणिक विवेचन छहढाला ग्रन्थ के परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत किया। दूसरा आलेख पंडित श्री राजकुमार जैन शास्त्री सागर छहढाला ग्रन्थ के परिप्रेक्ष्य में अंतरात्मा और अविरत सम्यग्दृष्टि की व्याख्या पर प्रस्तुत किया। अध्यक्षीय उद्बोधन में दोनों आलेखों की समीक्षा करते हुए पंडितश्री विनोद जी ने कहा – रजवांस में संगोष्ठी अपने आपमें गौरव को देने वाली है। जिनवाणी के प्रति रजवांस समाज का मनोभाव अत्यंत गौरवान्वित करने वाला है। गणिनी आर्यिका लक्ष्मीभूषण माताजी ने कहा – विद्वानों के द्वारा शोधपरक विषयों को जानकर प्रसन्नता हुई। माताजी द्वारा भी विद्वानों के आलेखों की समीक्षा की गई।

द्वितीय सत्र – यह सत्र दोपहर में 2.30 से प्रारंभ हुआ। इसमें मंगलाचरण ब्र अनीता दीदी द्वारा किया गया। अध्यक्षता पंडित श्री राजकुमार जैन शास्त्री सागर एवं सत्र संचालन पंडित श्री पवन जैन दीवान सागर द्वारा किया गया। आलेख वाचन 1. पंडित श्री विजय जैन शास्त्री शाहगढ़ – अनर्थदण्डव्रत – एक चिंतन,  2. पंडित श्री प्रशांत जैन शास्त्री मड़ावरा – सम्यक्त्व की महिमा- छहढाला ग्रन्थ के परिप्रेक्ष्य में, 3. डॉ ममता जैन पुणे – छहढाला में मंगलाचरण का वैशिष्ट्य,  4. डॉ आशीष जैन आचार्य सागर – अजीव और पुद्गल एक अध्ययन, 5. पंडित श्री विनोद जैन रजवास – संसार के परिभ्रमण के कारण का अध्ययन; उपरोक्त विषयों पर विद्वानों के शोधपरक आलेखवाचन हुए। अध्यक्षीय उद्बोधन के पश्चात् आर्यिका माताजी ने सभी आलेखों की समीक्षा की।

तृतीय सत्र – यह सत्र सायं 7.30 बजे से प्रारंभ हुआ। मंगलाचरण डॉ आशीष जैन शिक्षाचार्य दमोह द्वारा किया गया। अध्यक्षता डॉ आशीष जैन आचार्य सागर एवं सत्र संचालन  डॉ भरत जैन इंदौर द्वारा किया गया। आलेख वाचन 1. डॉ आशीष जैन शिक्षाचार्य दमोह – व्यवहार सम्यग्दर्शन का स्वरूप और उसकी उपयोगिता, 2. डॉ आशीष जैन बम्होरी दमोह – अणुव्रतों की शास्त्रीय व वर्तमान अवधारणा, 3. अनिल जैन शास्त्री सागर – सम्यग्ज्ञान का शास्त्रीय चिंतन उक्त विषयों पर आलेख प्रस्तुत किए गए।

चतुर्थ सत्र – यह सत्र 25.09.2024, प्रातः 8 बजे से प्रारंभ किया गया। इसमें मंगलाचरण  पंडित श्री पवन जैन दीवान द्वारा किया गया। दीप प्रज्वलन समाज के वयोवृद्ध श्रावक एवं समाज के अध्यक्ष श्रीमान् अजित कुमार जैन एवं समस्त पुण्यार्जक परिवार द्वारा किया गया। सत्र की  अध्यक्षता  ब्र. अपराजिता दीदी(रिम्पीदीदी) एवं सत्र संचालन डॉ बाहुबली जैन इंदौर द्वारा किया गया। आलेख वाचन 1. सुनील सुधाकर शास्त्री सागर – छहढाला में वर्णित निश्चय रत्नत्रय का समग्र चिंतन, 2. डॉ भरत जैन इंदौर – रत्नत्रय का स्वरूप छहढाला के संदर्भ में, 3. डॉ. राजेश जैन शास्त्री, ललितपुर – तत्वों की हेयोपादेयता का चिंतन, 4. कु. सृष्टि जैन धर्म प्रसार में भित्तिचित्र, शैलचित्र एवं पाण्डुलिपियों के चित्रों की भूमिका।

पंचम सत्र – यह सत्र दोपहर में 3 बजे से प्रारंभ किया गया। इस सत्र में मंगलाचरण पंडितश्री राजेश जैन शास्त्री सेसई द्वारा किया गया। सत्र की अध्यक्षता पंडितश्री पवन जी दीवान सागर एवं सत्र संचालन डॉ. राजेश जैन शास्त्री ललितपुर द्वारा की गई। आलेख वाचान 1. डॉ. सुनील जैन संचय ललितपुर – छहढाला में उल्लिखित जीव के भेद, 2. पंडितश्री मुकेश जैन शास्त्री ललितपुर – छहढाला ग्रन्थ में सम्यग्दर्शन और अष्ट अंगों का समग्र चिंतन, 3. डॉ. बाहुबली जैन इंदौर – छहढाला के संदर्भ में अजीव तत्व, 4. डॉ. निर्मल जैन शास्त्री टीकमगढ़ – छहढाला ग्रन्थ की लोकप्रियता क्यों? प्रमाणिक अध्ययन। अध्यक्षीय उद्बोधन के पश्चात् संगोष्ठी के निदेशक श्री विनोद जी रजवांस ने संगोष्ठी का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। सकल दि जैन समाज के अध्यक्ष श्री अजित जैन ने संगोष्ठी के सफल आयोजन के संबंध में अपने उद्गार व्यक्त किए एवं आगन्तुक विद्वानों को धन्यवाद ज्ञापित किया। पुण्यार्जक परिवार श्री जिनेन्द्र जैन द्वारा संगोष्ठी में अपनी चंचला लक्ष्मी का उपयोग कर अपने सौभाग्य की अनुमोदना की। तत्पश्चात् आगन्तुक सभी विद्वानों का सम्मान कराया गया। अन्त में, माताजी के आशीर्वचन प्राप्त कर समाज एवं विद्वानों ने अपनी धन्यता का अनुभवन किया। इस प्रकार से जिनवाणी की आराधना में सफल संगोष्ठी का आयोजन सम्पन्न हुआ।

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