पुष्पदंत भगवान का जन्म और तप कल्याणक मनाया बड़ौत नगर में अंकलीकर परंपरा के चतुर्थ पट्टाधीश आचार्य श्री सुनीलसागर महामुनिराज के सानिध्य मे पुष्पदंत भगवान का जन्म और तप कल्याणक धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर जैन श्रधालुओ ने पुष्पदंत भगवान की भक्तिभाव से पूजन की।
अजितनाथ सभागार मे प्रात: कालीन धर्मसभा को संबोधित करते हुये आचार्यश्री ने कहा कि संसार की सैर का एक ही अफसाना है ..एक बूंद से आना है, एक बूंद में जाना है ।”
एक अंधेरे से आना और एक अंधेरे में जाना यही लगा हुआ है। नरक, निर्यंच के अंधेरे में से, निगोद के अंधेरे में से निकलकर हम थोडे से प्रकाश में याने मनुष्य गति मे आये है। अब यहाँ आकर भी जीव नही चेता तो अंधेरे मे ही जाना है।आचार्य श्री ने कहा कि बार माँ की गोद की चाह करोगे तो निगोद में जाओगे, और जिनवाणी की गोद की चाह करोगे तो भव से पार हो जाओगे।
आँखे तो बहुत लोगोंकी खुलती है कुत्ता, बिल्ली की भी खुलती है, परंतु दृष्ठि जिनकी खुलती है वे सौभाग्यशाली है। आँखे खुली तो संसार दिखाई देता है, परंतु दृष्टि खुलती है तो संन्यास दिखाई देता है। सुबह सुबह जब संसारी लोगो की आँख खुलती है तो मोबाईल, T.V समाचार पत्र पर जाती है। परंतु उनमें भी आँख खुलते ही आत्मतत्व की साधना करने वाले संत के दर्शन करे ,वह व्यक्ति सौभाग्यशाली है।
आज 9 वें तीर्थंकर श्री पुष्पदंत स्वामी का जन्म और तप – कल्याणक के अवसर हम यही भावना करते है की उनका जन्म जिस तरह हुआ वैसे ही हमारा भी हो और निर्वाण को प्राप्त करें।संचालन संजय जैन ने किया।
सभा मे सुभाष जैन, अशोक जैन, नवीन बब्बल,ललित जैन, राजकुमार जैन, हंस कुमार जैन, सुरेंद्र जैन, अनिल जैन, जितेंद्र जैन, सुधीर जैन, अंकुर जैन, वकील चंद जैन, वरदान जैन आदि उपस्थित थे।
अतुल जैन बुढ़पुर वाले मीडिया प्रभारी