पूज्य मुनि श्री नीरज सागर एवं पूज्य मुनि श्री निर्मद सागर जी महाराज का आर के पुरम त्रिकाल चौबीसी मंदिर में मंगल हुआ आगमन

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पलक पावड़े बिछाए श्रद्धालुओं ने

कोटा
आर के पुरम स्थित श्री 1008 दिगंबर जैन त्रिकाल जोशी मंदिर में आचार्य श्री विद्या सागर जी महाराज के आज्ञानुवृति शिष्य,आचार्य श्री समय सागर जी महाराज के आशीर्वाद से पूज्य मुनि श्री नीरज सागर एवं पूज्य मुनि श्री निर्मद सागर जी महाराज का भव्यआगमन हुआ।रास्ते में जगह जगह गुरुवर का भव्य पाद प्रक्षालन एवं आरती की गई।
मंदिर समिति के अध्यक्ष अंकित जैन महामंत्री अनुज गोधा कोषाध्यक्ष ज्ञानचंद जैन ने बताया कि सुबह प्रथमाभिषेक के बाद विश्व में शांति की मंगल भावना से शांति धारा की गई। इसके बाद मंगल दीप प्रज्वलन सकल दिंगबर जैन समाज समिति के अध्यक्ष विमल जैन नान्ता हरक चंद गोधा लोकेश जैन मनोज जैन आदिनाथ द्वारा किया गया। उसके बाद शास्त्र भेट किया गया। मंदिर समिति के प्रसार प्रसार मंत्री पारस जैन पार्श्वमणि और कार्याध्यक्ष प्रकाश जैन ने बताया कि उसके बाद आचार्य श्री विद्या सागर महाराज की पूजन बड़े ही भक्ति भाव के साथ झूमते हुवे संगीत की स्वर लहरियो के बीज अलग अलग मंडलों ग्रुपों द्वारा की गई।
परमपूज्य मुनि निर्मद सागर जी महाराज ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जिंदगी में यह हुनर भी आजमाना चाहिए जंग अगर अपनों से हो तो हार भी जाना चाहिए
जीवन में सदैव अपने विचार और परिणामों को निर्मल बनाए रखें समर्पण में जीता नहीं जाता समर्पण में हार भी जीत होती है। एक कुम्हार की विचारधारा से धरती पर पड़ी मिट्टी भी घड़े का आकार ले लेती है यह सब विचारों का खेल है। मिट्टी का समर्पण भी है। जीवन में प्रति क्षण अपने परिणामों को देखना होगा परिणामों की विशुद्धि प्रतिफल बनी रहे निर्मल रहे। हजार बूंद नीबू की हो तो वो चीटियों को आकर्षित नहीं कर सकती शहद एक बूंद हो तो वह आकर्षित कर देती है । जीवन में जब भी तुम्हे कोई गाली दे तो तुम उसको स्वीकार मत करो। वो गाली देने वाले पर ही लौट कर आएगी। अकड़ में कोई मात्रा नहीं होती परंतु थोड़ी-थोड़ी मात्रा में हम सब ने हुआ करती है। इसके बाद परम पूज्य मुनि नीरज सागर जी महाराज ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि धर्म क्षेत्र में रणनीति व राजनीति नहीं आनी चाहिए वरना पतन का कारण बन जाएगा राजनीति में धर्म नीति आती है तो यह सर्वश्रेष्ठ है। धर्म क्षेत्र मंदिर में जन्मों-जन्मों के पापों के परिमार्जन के लिए पापों से मुक्ति के लिए जाया जाता है। वहीं यदि पाप का बंध कर लिया तो वो पाप बंध कहा छूटेगा । ऐसा पाप व्रज लेप के समान हो जाता है युवा का उल्टा वायु होता है। पर से दूर हो स्व की ओर चलना बढ़ना चाहिए।जीवन में सदैव आगम को आधार मान कर चले। जिसके जीवन में ज्ञान चक्षु जागृत हो जाते है वो व्यक्ति पूर्वाग्रह को छोड़ देता है।अपनी दृष्टि को व्यापक बनाए संकुचित नहीं। भावों में पवित्रता हो कषायो की मंदता हो पर से स्व की ओर की यात्रा हो तो जीवन सफल हो जावे।
धर्म सभा में सकल दिंगबर जैन समाज के अध्यक्ष विमल जैन नान्ता महामंत्री विनोद जैन टोरडी मनोज जयसवाल प्रकाश जैन पदम जैन अशोक पाटनी अशोक जैन विनय जैन प्रेम चंद सोगानी राजेश जैन लोकेश जैन राजकुमार वेद रोहित जैन सुरेंद्र जैन भाग चंद जैन अंशुल जैन विमल जैन जितेंद्र जैन दीपक जैन अक्षय जैन महावीर जैन लोकेश जैन पंकज जैन रूप चन्द जैन हरक चंद गोधा मुकेश जैन पापड़ीवाल इत्यादि लोग उपस्थित थे।
प्रस्तुति
पारस जैन पार्श्वमणि पत्रकार कोटा

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