प्रेरणा जीवन में संग्रहालय नहीं, सफलता बने। – भावलिंगी संत

0
58

खुशियाँ आकाश से नहीं बरसती, आत्म विश्वास से प्राप्त होती है- विमर्श सागर जी

सोनल जैन की रिपोर्ट दिल्ली

श्री महावीर दिगम्बर जैन मंदिर कृष्णानगर दिल्ली में ऐतिहासिक चातुर्मास हो है। चातुर्मास के लिये प्रथम बार दिल्ली में का भव्य आगाज भावलिंगी संत श्रमणाचार्य श्री विमर्शसागर जी महामुनिराज पधारे परम पूज्य के विशाल चतुर्विध संघ के सानिध्य में प्रतिदिन धार्मिक आयोजनों की धूम मची हुई हैं। पूज्य आचार्य भगवन के मांगलिक प्रवचन सुनने पूरे दिल्ली NCR- से भारी संख्या में श्रद्धालु गण कृष्णा नगर जैन  मंदिर पहुंच रहे हैं। आचार्य भगवन ने धर्म सभा को संबोधित करते हुये कहा कि

जिंदगी में खुशियाँ आकाश से नहीं बरसतीं आत्मविश्वास से जितना जितना आत्म विश्वास बढ़ता जाता है उतनी उत्तनी जीवन में खुशियों की बहार आने लगती है। दुनिया में जितने भी महापुरुष सफलतामों के शिखर पर पहुँचे हैं वे आत्म विश्वास के बल पर ही पहुँचे हैं। यूँ तो हमारे जीवन प्रेरणा स्त्रोत तीर्थकर आचार्य भगवंत, साधु भगवंत आदि अनेकों महापुरुष होते हैं लेकिन हमारा आत्म विश्वास न हो तो उन महापुरुषों की सभी प्रेरणायें मात्र संग्रहालय का काम करेंगी। जब प्रेरणा के साथ कार्य की कारने व्मा आत्म विश्वास जागता है तो वहीं आत्मविश्वारत हमारे जीवन में सफलतामों का प्रकाश भर देता है। हमारे अंदर आत्म विश्वास तो है, किन्तु उसे जगाने बाला कोई प्रेरणा पुरुष, भोई सद्‌गुरु जीवन में अवश्य चाहिये। जीवन में अगर सद्‌गुरु मिल जायें तो समझना चाहिये कि हमें तीनों लोकों का सर्वश्रेष्ठ

उपहार मिल गया है। आचार्य श्री ने कहा कि जैन कुल में आत्मशुद्धि के साथ साथ जीवमान के कल्याण की भावना रखी जाती है। सभी का जीवन पुण्य और पाप से संचालित होता है। जीवन में सुख-दुख, दिन और रात की तरह परिणमन शील हैं। जैसे रात के बाद दिन और दिन के बाद रात का भाना तय है उसी तरह दुख के बाद सुख और सुख के बाद इख का आना तय है वो अलग बात है कि जीव भपने पुरुषार्य से दुख का अंत ही करद । जैनों के चूरों में जैन कुल की पहिचान, पानी छानने का छन्ला अवश्य होना चाहिये । हमारे अहिंसा के भावो से वो छन्ना भी इतना पावरफुल हो जाता है कि घर से व्यतर आदि बाधायें भी दूर रहती है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here