प्रेसीडेंट ऑफ़ भारत की जगह भारत के राष्ट्रपति या राष्ट्रपति भारत सरकार नामकरण शुभ संकेत

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एक बार दो पहलवानो में कुश्ती हुई तो स्वाभाविक हैं उनमे कोई एक हारता हैं और एक जीतता हैं .जीतने वाले पहलवान ने हारे हुए पहलवान के पास जाकर अभिवादन किया और धन्यवाद दिया की  दोस्त तुम्हारे हारने से में जीत गया .!इस प्रकार जी २० के कार्यक्रम में भारत के  राष्ट्रपति द्वारा जो आमंत्रण दिया गया हैं उसमे प्रेसीडेंट ऑफ़ भारत लिखा गया हैं .कम से कम  विपक्षी एकता के कारण आई. ए. डी. आई. ए यानि इंडिया नामकरण होने के कारण इंडिया की जगह भारत नाम रखने को मजबूर होना पड़ा वर्तमान सरकार को अन्यथा चुनावी मौसम में सत्ताधारी पार्टी को आई. ए. डी. आई. ए यानि इंडिया बोलना पड़ता जिससे विपक्ष को वोट में फायदा होगा .
कम से कम इस नामकरण से हम पुरानी विरासत की ओर लौटने का प्रयास जरूर करने लगे .जैसे अभी तक भारत नामकरण में राम के भाई भरत के नाम से  भारत मन जाता रहा तो कहीं दुष्यंत के पुत्र भरत का नामकरण हुआ और अंतिम में जैन धर्म के संस्थापक भगवान आदिनाथ के पुत्र महायोगी भरत के नाम से भारत नामकरण किया गया .जो वरिष्ठता के आधार जैन धर्म के संस्थापक भगवान आदिनाथ के पुत्र चक्रवर्ती भरत  के नाम से किया गया हैं जो सत्य और सार्थक हैं .
अभी भी हम इंग्लिश और हिंदी की जुगल जोड़ी से अपना काम चला रहे हैं .जबकि होना चाहिए राष्ट्रपति भारत सरकार उचित हैं .दूसरा जी २० देशों की मेजवानी में पूर्णतया शाकाहार भोजन और व्यंजन परोसा जाना सुखद अनुभूति  हैं  अन्यथा सम्मलेन की सफलता संदेहजनक होती .
इटली जैसे देश में सरकारी संपर्क या संवाद अंग्रेजी के इस्तेमाल पर प्रतिंबंध लगाने जा रही हैं जो इसका उल्लंघन करेगा उस पर एक लाख यूरो यानी ९० लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान रखा गया हैं विदेशी भाषा का इस्तेमाल देश की भाषा इतालवी को अपमानित करता हैं .इससे हमारे देश को पाठ सीखना चाहिए ,संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज वर्षों से यह मांग शासको से कर रहे हैं पर विपक्षी एकता का नामकरण करने से भारतीय जनता पार्टी को मज़बूरी में इंडिया की जगह भारत शब्द का उपयोग करना पड़ रहा हैं .
इससे यह सीख लेना अनिवार्य हैं की हमें देश का नाम भारत ,पदों के नाम भी हिंदी में विभागों के नाम हिंदी में और सरकारी और असरकारी कार्यों में हिंदी उपयोग करे .हमें अंग्रेजी भाषा से कोई विवाद नहीं हैं ,सबको मन माफिक भाषाएँ सीखने का अधिकार हैं पर भारत देश के अनुरूप अपनी मातृभाषा और राजभाषा का उपयोग अनिवार्य करना होगा .इसके अलावा अन्य राष्ट्रों में निजभाषा को सम्मान देते हैं उनसे भी सीख लेना चाहिए .
विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन  संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104  पेसिफिक ब्लू ,,नियर डी मार्ट, होशंगाबाद रोड, भोपाल 462026  मोबाइल  09425006753

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