प्रतिभाशाली बच्चे परिवार, समाज के उज्जवल भविष्य की नींव -सीए कमलेश जैन

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सेवा न्यास द्वारा आयोजित प्रतिभा सम्मान:
प्रतिभाशाली बच्चे परिवार, समाज के उज्जवल भविष्य की नींव -सीए कमलेश जैन
प्रतिभाशाली बच्चे देश व समाज का भविष्य होते हैं

मुरैना (मनोज जैन नायक) अपनों के द्वारा, अपनों के सम्मान अथवा उत्साहवर्धन के लिए किए जाने वाले आयोजन किसी पर कोई अहसान नहीं होते, बल्कि ऐसे आयोजनों से समाज की प्रतिभाओं का उत्साहवर्धन होता है, साथ ही समाज के अंदर एक नई ऊर्जा का संचार होता है । अखिल भारतीय श्री दिगंबर जैसवाल जैन (उपरोंचिया) सेवा न्यास द्वारा प्रति वर्ष आयोजित किया जाने वाला प्रतिभा सम्मान समारोह मात्र एक औपचारिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह दिगंबर जैसवाल जैन उपरोंचिया समाज के भविष्य की नींव रखने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह समारोह उन होनहार बच्चों के उत्साह और समर्पण को पहचानता है जिन्होंने शैक्षणिक, सांस्कृतिक या अन्य क्षेत्रों में शानदार व उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है।
श्री सिद्ध क्षेत्र सोनागिर मे 28 दिसंबर को सम्मानित होने वाले बच्चे केवल अपने परिवार के लिए गर्व का स्रोत ही नहीं हैं, बल्कि वे संपूर्ण समाज के भविष्य की आशा हैं। उक्त उद्गार अखिल भारतीय श्री दिगम्बर जैसवाल जैन उपरोचियां सेवा न्यास के वर्तमान महामंत्री एवं नव निर्वाचित कार्याध्यक्ष सीए कमलेश जैन गुरुग्राम ने सजातीय बंधुओं के मध्य प्रतिभाशाली बच्चों के संदर्भ में व्यक्त किए ।
परिवारों का गौरव, समाज की पूंजी
एक बच्चे की सफलता के पीछे उसके परिवार का अटूट समर्थन और संस्कार होते हैं। ये बच्चे अपने परिवार के उज्जवल नाम को आगे बढ़ाते हैं और समाज को यह संदेश देते हैं कि उचित प्रोत्साहन और मार्गदर्शन से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। ये बच्चे राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार समाज की सच्ची पूंजी हैं।
सामाजिक समरसता और द्वेष का उन्मूलन
प्रतिभाशाली युवाओं से केवल शैक्षिक उत्कृष्टता की ही नहीं, बल्कि उच्च मानवीय मूल्यों की भी अपेक्षा की जाती है। सबसे महत्वपूर्ण है कि वे जीवन में द्वेष और हीन भावना को पूरी तरह से समाप्त करें।
जैन दर्शन का समावेश : जैन दर्शन का मूल सिद्धांत अहिंसा और अनेकांतवाद है। इन मूल्यों को जीवन में उतारकर, ये युवा न केवल व्यक्तिगत रूप से शांत रहेंगे, बल्कि समाज में भी समरसता का वातावरण स्थापित करने में मदद करेंगे।
समानता की भावना: सफलता प्राप्त करने के बाद, किसी भी प्रकार की हीन भावना से दूर रहना आवश्यक है। सभी सामाजिक व्यक्तियों को समान सम्मान देना और उन्हें अपनाना एक सफल और सुसंस्कृत व्यक्ति का परम कर्तव्य है।
सामाजिक व्यक्ति के साथ खड़ा होना: आप युवाओं से यह अपेक्षा है कि आप अपनी उपलब्धियों और क्षमता, पद और प्रभाव का उपयोग सदा समाज के साथ खड़े रहने के लिए करते रहेंगे।
जैन धर्म के प्रचार-प्रसार में भूमिका
आप प्रतिभाशाली युवाओं पर एक विशेष जिम्मेदारी भी है। आपसे अपेक्षा की जाती है कि आप अपने उत्कृष्ट कार्यों और सदाचारी जीवन शैली से जैन धर्म के सिद्धांतों को न केवल आत्मसात करें, बल्कि उनका प्रचार-प्रसार भी करें।
आचरण द्वारा प्रचार: अपने जीवन में अहिंसा, अनेकांतवाद, अपरिग्रह और सत्य के मार्ग पर चलकर आप दुनिया के सामने जैन जीवन पद्धति की महत्ता सिद्ध कर सकते हैं। आपका उच्च चरित्र और सफलता स्वयं ही धर्म का सबसे बड़ा विज्ञापन होगा।
संस्कारों का हस्तांतरण: सफलता की ऊंचाइयों पर पहुँचने के बाद भी, अपने मूल संस्कारों और धर्म के प्रति श्रद्धा बनाए रखना नई पीढ़ी को धार्मिक जड़ों से जोड़े रखने का मार्ग प्रशस्त करेगा।
विकास और कल्याण के लिए योगदान
आप अपनी सफलता को केवल व्यक्तिगत न रखकर श्री दिगंबर जैसवाल जैन उपरोंचिया समाज के विकास और कल्याण के लिए किसी न किसी रूप में योगदान देते रहें। अपनी विशेषज्ञता के क्षेत्र में आप समाज के छोटे बच्चों का मार्गदर्शन कर सकते हैं।
आर्थिक और सामाजिक सहयोग: अपनी क्षमतानुसार समाज के जरूरतमंद बच्चों की शिक्षा में, स्वास्थ्य सेवाओं में या सामूहिक कार्यक्रमों में आर्थिक या श्रमदान के माध्यम से सहयोग करना आपकी नैतिक जिम्मेदारी है। न्यास परिवार द्वारा आयोजित प्रतिभा सम्मान समारोह एक सेतु का काम करता है—जो वर्तमान की सफलता को भविष्य के सामाजिक दायित्व से जोड़ता है। यह आशा है कि आप सभी सम्मानित सितारे अपने ज्ञान, कौशल, और संस्कारों से अपने परिवार, समाज, और जैन धर्म को निरंतर प्रकाशित करते रहेंगे। मानवीय करुणा और सामाजिक समरसता के साथ श्री दिगंबर जैसवाल जैन उपरोंचिया समाज को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में आपका अमूल्य योगदान ही इस सम्मान की सार्थकता सिद्ध करेगा।

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