प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ जन्मकल्याणक पर हो सार्वजनिक अवकाश

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धर्म जागृति संस्थान राजस्थान प्रान्त ने की मांग
( जयपुर) अखिल भारतवर्षीय धर्म जागृति संस्थान राजस्थान प्रांत के प्रांतीय अध्यक्ष पदम जैन बिलाला जयपुर ने राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखकर जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ जन्म कल्याणक चैत्र कृष्ण नवमी को सार्वजनिक अवकाश घोषित करने की मांग की गई है।
उन्होंने पत्र में लिखा कि जैन धर्म में चौबीस तीर्थंकर हुए हैं। जिनमे प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव अर्थात आदिनाथ भगवान हैं ।भगवान ऋषभदेव जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर जिन्हें आदिनाथ भी कहा जाता है। भगवान ऋषभदेव वर्तमान हुंडा अवसर्पिणी काल के प्रथम तीर्थंकर हैं। जैन धर्म अनादि काल से चला रहा है किंतु प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ भगवान को जैन धर्म के प्रवर्तक के रूप में माना जाता है।
धर्म जागृति संस्थान के राष्ट्रीय प्रचार मंत्री संजय जैन बड़जात्या ने बताया कि धर्म जागृति संस्थान के तिजारा अधिवेशन में यह मांग पुरजोर तरीके से उठा कर आगे बढ़ाए जाने का निर्णय लिया गया था। उसी क्रम में यह पत्र लिखा गया है। पत्र में उल्लेख किया गया की भगवान आदि नाथ के सबसे बड़े पुत्र भरत प्रथम चक्रवर्ती सम्राट हुए जिनके नाम पर ही इस देश का नाम भारत वर्ष पड़ा । भगवान आदिनाथ ने ही मनुष्य को जीने की कलाए असि, मसि, कृषि, वाणिज्य, शिल्प और कला का उपदेश दिया एवं जीना सिखाया है । जैन पुराण साहित्य में अहिंसा, अस्तेय,अचौर्य,ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह, भगवान आदिनाथ की ही देशनाएँ है ।
आदिनाथ भगवान के जन्म कल्याणक (जन्म जयंती) पर राजस्थान सरकार द्वारा सार्वजनिक अवकाश की घोषणा कर जैन समाज की भावनाओं को राहत प्रदान करे। उन्होंने कहा कि उक्त मांग बड़े लंबे समय से की जा रही है पुनः आपसे निवेदन है कि जैन धर्म को सही पहचान वह भावनाओं के अनुरूप भगवान आदिनाथ जन्मकल्याणक पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा राजस्थान सरकार द्वारा कर एक नया अध्याय लिखा जाए। वर्तमान में भारत में जैन धर्मावलम्बी अल्पसंख्यक श्रेणी में आते है और उनके हितों की रक्षा एवं उनकी भावनाओं का सम्मान करना आपका दायित्व बनता है। पत्र की प्रति गौतम दक राज्यमंत्री राजस्थान सरकार को भी अनुशंषा हेतु प्रेषित की गई है।

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