प्राकृत भाषा के नवीन शिक्षा सत्र का शुभारंभ एवं श्री भूवलय चक्र विवरणिका का विमोचन संपन्न हुआ

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प्राकृत भाषा के नवीन शिक्षा सत्र का शुभारंभ एवं श्री भूवलय चक्र विवरणिका का विमोचन संपन्न हुआ

श्री दिगंबर जैन उदासीन आश्रम ट्रस्ट द्वारा कुंदकुंद ज्ञानपीठ सभागृह में प्राकृत भाषा के नवीन शिक्षा सत्र का शुभारंभ एवं श्री भूवलय चक्र विवरणिका अनुभाग एक का विमोचन प्रोफेसर रजनीश जैन एवं प्रोफेसर नीरज जैन द्वारा किया गया।
राजेश जैन दद्दू
इंदौर
श्री भूवलय ग्रंथ की महत्ता
भारतीय ज्ञान परंपरा के अंतर्गत आठवीं शताब्दी में 108 आचार्य कुमुदेन्दु देव महाराज द्वारा अंक चक्र के आधार पर रचित ग्रंथ श्री भूवलय को पुनः विद्वानों के सहयोग से प्रकाश में लाया गया है। इस ग्रंथ में लुप्तप्राय श्रमण संस्कृति की अमूल्य धरोहर को जन सामान्य एवं विद्वत समुदाय के समक्ष लाने का प्रयास किया गया है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के विचार

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रोफेसर रजनीश जैन ने बताया कि भारत सरकार ने प्राकृत भाषा को अपनी अनुसूची में सम्मिलित कर प्राकृत का मान बढ़ाया है। प्रोफेसर नीरज जैन ने बताया कि भारतीय ज्ञान परंपरा के माध्यम से अनेक कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं।

कार्यक्रम में उपस्थित विद्वान

कार्यक्रम में शिक्षा जगत के शीर्षस्थ विद्वान डॉक्टर रंजना पटोरी कटनी, डॉक्टर नलिन के शास्त्री दिल्ली, डॉक्टर जयकुमार उपाध्याय दिल्ली, डॉक्टर रेणु जैन दिल्ली, इंजीनियर अनिल कुमार जैन इंदौर, डॉक्टर प्रतिभा मेगडूराम कोल्हापुर, डॉक्टर उमंग जैन जयपुर, डॉक्टर राखी गुप्ता इंदौर, डॉक्टर अतिशय जैन जबलपुर, डॉक्टर सुनीता जैन, डॉक्टर संध्या जैन, डॉक्टर जैनेंद्र जैन सहित शहर के गणमान्य श्रेष्ठि एवं विद्वत जनों की उपस्थिति रही।

कार्यक्रम का संचालन

कार्यक्रम का मंगलाचरण रश्मि सेठी ने किया एवं संचालन डॉक्टर अरविंद कुमार जैन ने किया।

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