अभिषेक, शांतिधारा और अरनाथ विधान का हुआ आयोजन, मनाया उत्तम ब्रह्मचर्य एवं अनन्त चतुर्दशी पर्व
ललितपुर। प्रागैतिहासिक अतिशय क्षेत्र नवागढ़ विकासखंड महरौनी में दसलक्षण महापर्व (पर्यूषण पर्व) धूमधाम भक्ति श्रद्धा के साथ हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया।
मंगलवार को पर्व के अंतिम दिन उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म और अनन्त चतुर्दशी के अवसर पर प्रातः बेला में सर्वप्रथम मंगलाष्टक किया गया इसके बाद श्रीजी का मंगल अभिषेक किया गया। शांतिधारा करने का सौभाग्य ज्ञानचंद्र जैन, डॉ. सुनील जैन संचय सपरिवार ललितपुर को प्राप्त हुआ। शांतिधारा के मंत्रों का उच्चारण इंदौर से पधारी ब्रह्मचारिणी दीदी द्वारा किया गया।
इस मौके पर मूलनायक श्री अरनाथ भगवान का विधान विधि विधान के साथ संपादित किया गया। जिसमें भगवान अरनाथ की पूजन के बाद विधान के अर्घ समर्पित किए गए।
श्री नवागढ़ गुरुकुलम के बच्चों एवं शिक्षकों द्वारा संगीतमय भक्ति के साथ देव-शास्त्र-गुरु, दसलक्षण महापर्व पूजन, सोलहकारण पूजन, अरनाथ भगवान की पूजन आदि तथा अरनाथ भगवान की मंगल आरती की गई। श्री नवागढ़ गुरुकुलम के बच्चों द्वारा दसलक्षण महापर्व में पूरी भक्ति श्रद्धा के साथ नाचते-गाते हुए पूजन आदि संगीत के साथ कि गई। अंतिम दिन अनन्त चतुर्दशी पर जहाँ हरी सब्जी, फल का त्याग किया वहीं व्रत को भी रखा और एकाशन (एक टायम भोजन) किया।
इस मौके पर महामंत्री वीरचन्द्र जैन नेकौरा, प्रचारमंत्री डॉ सुनील संचय, सुरेंद्र सोजना, एडवोकेट संदीप सोजना, प्रवीण जैन, प्रियंका जैन, ब्रह्मचारिणी दीदी, श्री नवागढ़ गुरुकुलम के बच्चे, श्री नवागढ़ गुरुकुलम के शिक्षक, छात्रावास अधीक्षक आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। बच्चों को प्रोत्साहन स्वरुप स्टेशनरी का वितरण किया गया।
विकारों के विसर्जन का पर्व है पर्यूषण :
डॉ. सुनील संचय ने बताया कि दसलक्षण महापर्व (पर्युषण पर्व ) के दौरान विभिन्न धार्मिक क्रियाओं से आत्मशुद्धि की जाती व मोक्षमार्ग को प्रशस्त करने का प्रयास किया जाता है। यह पर्व जीवन में नया परिवर्तन लाता है। दस दिवसीय यह पावन पर्व पापों और कषायों को रग -रग से विसर्जन करने का संदेश देता है। यह एक ऐसा उत्सव या पर्व है जिसमें आत्मरत होकर व्यक्ति आत्मार्थी बनता है व अलौकिक, आध्यात्मिक आनंद के शिखर पर आरोहण करता हुआ मोक्षगामी होने का सद्प्रयास करता है। पर्युषण आत्म जागरण का संदेश देता है और हमारी सोई हुई आत्मा को जगाता है। यह आत्मा द्वारा आत्मा को पहचानने की शक्ति देता है। यह पर्व जीवमात्र को क्रोध, मान,माया,लोभ, ईर्ष्या, द्वेष, असंयम आदि विकारी भावों से मुक्त होने की प्रेरणा देता है।