प्राचीन संस्कृति और संस्कारों का था बड़ा महत्व : – गणिनी आर्यिका विज्ञाश्री माताजी

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महावीर कुमार जैन सरावगी जैन गजट संवाददाता नैनवा जिला बूंदी राजस्थान द्वारा
23 में शुक्रवार 2025, भोपाल की ओर चल रहा है तीव्र गति से बिहार
प. पू. भारत गौरव सहस्रकूट विज्ञातीर्थ प्रणेत्री श्रमणी गणिनी आर्यिका गुरु मां विज्ञाश्री माताजी ससंघ का मेहतवाड़ा में मंगल प्रवेश हुआ। माताजी ससंघ की निर्विघ्न आहारचर्या यही पर संपन्न हुई। माताजी ससंघ का मंगल विहार भोपाल के लिए चल रहा है। जिसमें 24 मई को माताजी ससंघ का आष्टा में मंगल प्रवेश होगा ।
माताजी ने उपस्थित जनसमूह को धर्मोपदेश देते हुए कहा कि – जैसा भीतर में आचरण होता है , वैसा ही परिणाम होता है। जैसी क्रिया होती है वैसे ही भाव आगे बनते चले जाते हैं। वह भावनाएं राग देश को समाप्त करने की नहीं बन पाती है । आत्मा में वह विचार नहीं आ पाते है कि राग द्वेष को हमें समाप्त करना है। पूराने समय की जितनी मर्यादायें थी आज के समय में उनकी कोई कीमत , कोई प्रयोजन नहीं है । पहले पालने में पलते बच्चे को देखकर ये समझ लेते थे कि बड़े होकर ये कैसे बनेंगे। अब कम्प्यूटर मोबाइल देख देख कर बच्चे पलते हैं लेकिन माता – पिता नहीं समझ पाते कि यह बड़ा होकर क्या करेगा। पहले समय में ये परख लिया जाता था कि ये बच्चा बड़ा होकर हमारे पास रहेगा या नहीं और उनका अनुमान सही निकलता था । अब माता – पिता सोचते हैं ये मेरा है , मेरे पास ही रहेगा। लेकिन बच्चा कहता है टाटा बाय – बाय छुट्टी वो नहीं रहता उनके पास। आज के समय में कल्चर ही ऐसा बन गया है। संस्कार ही ऐसे मिल रहे हैं । बहु बिना सिर ढ़के जिंस टोप जैसे छोटे छोटे वस्त्रों में बाहर घु्म रही है । बेटे को हाथ पकड़ के चलना है । अरे पहले निकटता से मर्यादा बनाई जाती थी और अब दूर रहकर मर्यादा बनाई जा रही हैं ।
माताजी ने कहा – हम जितना मर्यादित जीवन जीयेंगे उतना ही आने वाली पीड़ी भी सीखेगी । अतः छोटे छोटे नन्हे नन्हे बच्चों के सामने ऐसी कोई क्रिया या मनमाने काम न करें जिसका उन पर गलत प्रभाव पड़े।
महावीर कुमार जैन सरावगी जैन गजट संवाददाता नैनवा जिला बूंदी राजस्थान

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