प्राचीन जैन मंदिर में हुआ मंगल महोत्सव व महामस्तकाभिषेक का आयोजन

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प्राचीन जैन मंदिर में हुआ मंगल महोत्सव व महामस्तकाभिषेक का आयोजन
तीन दिवसीय कार्यक्रम में हुआ विधान, दीप अर्चना व भव्य भजन संध्या
यमुनानगर, 7 जून (डा. आर. के. जैन):
श्री सुपार्श्वना दिगम्बर जैन मंदिर अतिक्षय क्षेत्र बूडिय़ा के सभागार में भगवान श्री सुपाश्र्वनाथ जन्म कल्याणक के शुभ अवसर पर तीन दिवसीय मंगल महोत्सव व महामस्तकाभिषेक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के दौरान प्रथम दिवस मंगलाष्टक, अभिषेक, शांतिधारा, ध्वजारोहण, संगीतमय नित्य पूजन, शांति विधान पाठ किया गया तथा सायंकाल में 48 दीपों से भक्तामर दीप अर्चना की गई। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में नगर निगम मेयर सुमन बहमनी ने भाग लिया। दूसरे दिन पूजा अर्चना के पश्चात श्री चौसठ रिद्धि विधान किया गया तथा भव्य भजन संध्या का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधान अतुल जैन ने की तथा संचालन विधान आचार्य बाल ब्रह्मचारी अंशुल भईया ने किया। समापन कार्यक्रम के दौरान श्री सुपार्श्वनाथ जन्म कल्याणक के अवसर पर श्री सुपार्श्वनाथ महामंडल विधान किया गया। समापन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में अधिवक्ता सचिन जैन ने भाग लिया। मंदिर संरक्षक दीपक जैन व बृजभूषन जैन ने जानकारी देते हुये बताया कि श्री सुपार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर अति प्राचीन जैन मंदिर है, पिछले वर्षों में जैन समाज के सहयोग से इसका सौंदर्यीकरण कर आधुनिक रूप दिया गया। उन्होंने बताया कि मंदिर जी का पौराणिक महत्व है और दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन के लिए यहां आते है और अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करते है। अंशुल भैया ने संबोधित करते हुए बताया कि शांति विधान पाठ के अनुसार सूर्यवंशी राजा के अन्यायी के विरुद्ध प्रजा विहीन हो गई, तो राजा ने क्रोधित होकर प्रजा को अनेक रोगों से पीड़ित कर दिया। दुखी होकर श्रेष्ठी ने भाव सहित शांति विधान किया तो फल स्वरूप मथुरा नगरी का उपसर्ग शांत हो गया, तो नगर वासियों ने जिनालय में जाकर शांति नाथ भगवान के प्रति विशेष भक्ति भाव से पूजा विधान किया। उन्होंने यह बताया कि यह विधान सर्व विघ्न का नाश करने वाला, आत्मशांति का दाता और भव्य जीवों को मुक्ति प्रदान करता है। उन्होंने बताया कि शांति विधान का पाठ मनुष्य के जीवन में अच्छा आचरण ग्रहण करने में सक्षम होता है। परिवार, सदस्य व बच्चों को अच्छे संस्कार धार्मिकता के माध्यम से मिलते है। शांति विधान पाठ को करने से जीवन शांतिमय हो जाता है और सभी प्रकार के विघ्न दूर हो जाते है, शांति विधान जन-जन की आस्था का केन्द्र है। महिला मण्डल की अध्यक्ष रेखा जैन ने बताया सच्ची शांति आत्मा में है, इसको बाहर खोजना अपने जीवन का अमूल्य समय-तन-मन-धन को खोना है, इसमें विश्व शांति का समावेश है। विश्व शांति विधान में आत्म शांति की प्राप्ति के उपाय मंगल, उत्तम, शरण स्वरूप, जगत शांति कर, शांति विधायक, श्री शांतिनाथ भगवान की आराधना की जाती है। जैन समाज द्वारा आए हुये सभी अतिथियों का अभिनंदन किया गया और धन्यवाद किया गया। इस अवसर पर भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
फोटो नं. 1 व 2 एच.
प्रक्षाल करते व पाठ करते श्रद्धालु ………………..(डा. आर. के. जैन)

 

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