पिच्छी , दिगम्बर मुद्रा पर अरिहंत के हस्ताक्षर समान — मुनि श्री सुयश सागर जी

0
2

पिच्छी , दिगम्बर मुद्रा पर अरिहंत के हस्ताक्षर समान — मुनि श्री सुयश सागर जी

गांधीनगर इंदौर में सिद्धांत चातुर्मास का ऐतिहासिक समापन

(राजेन्द्र जैन महावीर, वीरेंद्र जैन वीरु की रिपोर्ट)

गांधीनगर, इंदौर। दिगंबर जैन मंदिर छाबड़ा जी की नशिया गांधीनगर में पट्टाचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के परम शिष्य मुनि श्री सुयश सागर जी महाराज, मुनि श्री विध्रुव सागर जी महाराज तथा क्षुल्लक श्री श्रेय सागर जी महाराज ससंघ का सिद्धांत चातुर्मास 2025 ऐतिहासिक रूप से संपन्न हुआ।

इस चातुर्मास की विशेषता यह रही कि इसमें न सजावट, न दिखावट, न आयोजन और न प्रदर्शन — केवल जैन सिद्धांत, स्वाध्याय और धर्म चर्चा का प्रवाह रहा। प्रतिदिन 8 घंटे तक हुए स्वाध्याय में धवला ग्रंथ सहित जैन दर्शन के मूल सिद्धांतों की गहन वाचना हुई। समाजजनों ने उत्साहपूर्वक भाग लेकर इस चातुर्मास को अपने जीवन में अमर बना लिया।

पिच्छी परिवर्तन दिवस पर मुनिश्री का मार्मिक संदेश

26 अक्टूबर को आयोजित पिच्छी परिवर्तन दिवस पर मुनि श्री सुयश सागर जी महाराज ने कहा —

> “पिच्छी दिगंबर मुद्रा पर अरिहंत देव के हस्ताक्षर समान है। साधु इसके बिना साधु नहीं रह सकता, यही उसकी पहचान है। जीव को जाने बिना और जीवकांड पढ़े बिना धर्म का पालन संभव नहीं। पिच्छी परिवर्तन, जीवन के पीछे का परिवर्तन है। ध्यान रहे — ‘रागी को कोई भेज नहीं सकता और वीतरागी को कोई रोक नहीं सकता।’”

विमलचंद जी का अनुशासन श्रेष्ठ — मुनिश्री

मुनिश्री ने चातुर्मास के दौरान मंदिर प्रबंधन और अनुशासन की सराहना करते हुए कहा —

> “छाबड़ा जी की नशिया के अध्यक्ष श्री विमलचंद जी छाबड़ा का अनुशासन श्रेष्ठ और धर्मानुसार है। उन्होंने इस चातुर्मास को सफल बनाया है, जिसे हम कभी भूल नहीं सकते हैं।

पं. विकास छाबड़ा ने धवला की वाचना कर दी नई दिशा

अमेरिका की माइक्रोसॉफ्ट कंपनी में कार्यरत रहते हुए भी धर्म के प्रति समर्पण दिखाते हुए पं. विकास छाबड़ा ने नौकरी छोड़कर भारत आकर धवला ग्रंथ की पांच पुस्तकों की वाचना की। उन्होंने 8 घंटे प्रतिदिन चलने वाले स्वाध्याय सत्रों में 8 वर्ष से लेकर 80 वर्ष तक के जिज्ञासुओं को जैन सिद्धांतों की गहराई से परिचित कराया।

मुनि श्री ने छाबड़ा परिवार के धर्मकार्य की सराहना करते हुए कहा कि —

> “छाबड़ा परिवार जिनवाणी और मुनि संघ के प्रति भक्ति का अद्भुत उदाहरण है।”

भावनाओं से भरा समापन क्षण

समापन अवसर पर मुनि श्री सुयश सागर जी की पिच्छिका छाबड़ा परिवार को, मुनि श्री विध्रुव सागर जी की पिच्छिका बसंत दोषी डैडी परिवार को तथा क्षुल्लक श्री श्रेय सागर जी की पिच्छिका का अंकित दोशी परिवार को प्राप्त हुई। पाठशाला के बच्चों ने सुंदर नृत्य प्रस्तुत कर भाव-विभोर कर दिया।

कार्यक्रम का संचालन विमलचंद जी छाबड़ा ने किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। मुनिसंघ के सायंकाल 4 बजे बिहार करने के समय श्रद्धालुओं की आंखों में आंसू थे। सभी ने एक स्वर में कहा —

> “चार माह तक बहती धर्मगंगा अब थम रही है, पर उसका प्रवाह हमारे हृदयों में सदैव रहेगा।”

 

पं. विकास छाबड़ा ने कहा —

> “मुनिश्री हमारे हृदय में हैं, और हमें विश्वास है कि वे पुनः गांधीनगर पधारेंगे।
इस अवसर पर अनेक जनों ने अपने अनुभव सुनाए।

राजेन्द्र जैन महावीर
सनावद
9407492577

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here