गुरु मा आर्यिका रत्न विज्ञान मति माताजी की सुशिष्या आर्यिका पवित्रमति माताजी के संसंघ सानिध्य में 18 मार्च से 30 मार्च 2025तक बीते वो तेरह दिन मेरे जीवन के सबसे अच्छे, यादगार दिन के साथ सुनहरे आध्यात्मिक पल एवं अपने अंतर्मन में झांकने के स्वर्णिम मौके बन गए हैं। आंजना और बोरी से विहार कर जब 18अप्रैल को माताजी जब अवलपुरा से पारंपरिक मार्ग से प्रातः 8.30बजे डडूका में मंगल प्रवेश करती हैं तो समाजजन उनकी अगवानी में पलक पांवड़े बिछाए तैयार थे। पारसनाथ जिनालय पहुंच कर माताजी ने मूलनायक पार्श्वनाथ भगवान के दर्शन किए। उनके संघ में आर्यिका करणमती माताजी, आर्यिका गरिमामती माताजी तथा ब्रह्मचारिणी सोनल दीदी भी डडूका पधारी। ऐतिहासिक डडूका नगरी में अपने प्रथम प्रवचन में ही डडूका जैन समाज की भक्ति से प्रभावित हो कर माताजी ने आदिनाथ जन्म तप कल्याणक पर्व डडूका में मनाने की घोषणा कर दी। हमारे तो मानो भाग ही खुल गए। अपने प्रातः कालीन प्रवचनों की श्रृंखला में माताजी ने आलोचना पाठ पर प्रातः 8से 9बजे तक वो तत्व गंगा बहाई जिसमें हमारी कई अनसुलझी बातों ओर शंकाओं का स्वतः ही समाधान निकल आया। माता पवित्रमति जी की वाणी में वो सम्मोहन है कि क्या युवा, क्या बुजुर्ग, क्या बच्चे, क्या बहने सब के सब उनकी जिनवाणीमई वाणी से चुंबकीय आकर्षण की तरह जुड़ गए। दोपहर में माताजी ने बहनों के लिए पृथक से कक्षा लगाई। शाम प्रतिदिन 6.30से 7.30बजे तक कथा आर्यिका गरिमा मति माताजी ने सुना श्रोताओं को प्रथमानुयोग से सराबोर कर दिया। प्रतिदिन प्रातः गर्भ गृह के मूलनायक पार्श्वनाथ भगवान का जलाभिषेक माताजी करण मति ने मंत्रोच्चार से इस तन्मयता से कराया कि बच्चे, युवा, बुजुर्ग सब के सब जुड़ गए। आदिनाथ जन्म तप कल्याणक पर्व पर माताजी पवित्रमतिजी ने पार्श्वनाथ सभागार में आदिनाथ विधान कराया जिसमे समाजजनों ने भक्ति से हिस्सा लिया। अगले ही दिन पार्श्वनाथ विधान कराया तो भक्ति की चमक और बढ़ गई। अपने प्रवास के दौरान माताजी के संसंघ सानिध्य में डडूका में अनंत नाथ भगवान एवं अरहनाथ भगवान के मोक्ष कल्याणक पर्व पर निर्वाण लाडू अर्पित किए गए। आंजना, परतापुर ओर आदिनाथ कॉलोनी एवं नौगामा के भक्तों का भी डडूका इस अवधि में आना जाना लगा रहा। पवित्रमति माताजी की चर्याएं चतुर्थकाल के साधुओं जैसी है और वे ऐसी साध्वी है जिन्हें प्रचार प्रसार और मीडिया का कोई मोह नहीं है। वे सिर्फ ओर सिर्फ धर्म वृद्धि और तत्त्व चर्चा की ही पक्षधर है। जैन समाज डडूका की हार्दिक इच्छा है कि पवित्र मति माताजी का वर्षा योग 2025 का सौभाग्य हमें मिले इस हेतु समाजजनो ने उन्हें श्रीफल भेंट कर विनती की। गांगड़तलाई में प्रवास कर रही उनकी गुरु मां विज्ञान मति माताजी से भी निवेदन करने जैन समाज का प्रतिनिधि मंडल पहुंचा। सभी ये उम्मीद करते है कि माताजी के चतुर्मास का सौभाग्य डडूका को मिले, देखे क्या होता है?
प्रवास के तेरहवें दिन माताजी ने प्राचीन मनोहारी जिनालय डडूका के प्रांगण में एक बार ओर पार्श्वनाथ विधान कराया ओर फिर परतापुर की ओर सांय 4.30बजे विहार कर गई। भक्तों की आंखें आंसुओं भरी थीं। सभी भक्त परतापुर तक वाया खेरन का पारड़ा विहार में सम्मिलित हुए। माताजी को परतापुर तक विहार करा परतापुर जिनालय के मूलनायक नेमीनाथ भगवान ओर अतिशययुक्त बेडवा वाले बाबा आदिनाथ भगवान के दर्शन कर मां पवित्र मति माताजी का आशीर्वाद ले कर हम डडूका बड़े भारी मन से लौटे। माताजी के मांगलिक सान्निध्य में बीते ये तेरह दिन हम सब की अनमोल थाती बन गए है। दिगंबर जैन पाठशाला डडूका के बच्चे सोनल दीदी द्वारा दिए गए तत्वज्ञान ओर व्यावहारिक ज्ञान को जीवन में अपनाने को संकल्प बद्ध हैं। हमें भविष्य में भी ऐसे संतो, साध्वियों का सान्निध्य मिलता रहे जो हमारे जीवन पथ को आलोकित करता रहे।
अजीत कोठिया डडूका बांसवाड़ा राजस्थान
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