पट्टाचार्य महोत्सव हर्षोल्लास के मंगलमय वातावरण में सुमति धाम, इन्दौर में पट्टाचार्य सानन्द सम्पन्न हुआ

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दिनांक – 27 अप्रैल से 2 मई 2025 तक विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के साथ हुआ आयोजन
अलौकिक अविस्मरणीय अद्वतीय अनुपम
इंदौर यह बात एक दम सार्वभौमिक सत्य है कि यदि किसी कार्य को पूर्ण श्रद्धा लगन मेहनत से किया जाए तो कार्य में सफलता अवश्य मिलती है वो कार्य सफलता के शिखर पर पहुंच ही जाता है। जी हां हम बात कर रहे है परम आदरणीय दानवीर धर्मनिष्ठ श्री मनीष गोधा श्रीमति सपना गोधा परिवार की। इन्होंने पट्टाचार्य महोत्सव को शिखर पर पहुंचा दिया। देवी अहिल्या की पावन धर्मप्राण नगरी में स्थित सुमति धाम जो अब तीर्थधाम बन गया में आयोजित पट्टाचार्य पदारोहण समारोह दिनांक 27 अप्रैल से 2 मई 2025 तक हर्षोल्लास के मंगलमय वातावरण में अत्यंत भव्यता एवं उल्लास के साथ सम्पन्न हुआ। यह महोत्सव यादगार ऐतिहासिक अविस्मरणीय यादें श्रद्धालुओ के मन मस्तिष्क पर अमित छाप छोड़कर चला गया। हर दृष्टि से अद्वितीय रहा – व्यवस्थाओं की शुचिता, आयोजन की गरिमा और जनमानस के उत्साह ने इसे सदैव के लिया यादगार अविस्मरणीय बना दिया।जिसने भी साक्षात यहां आकर एक साथ चार सो संतो के दर्शन किए उसने एक बात कहीं धरती पर समवशरण का दरबार लगाया है जीवन में ऐसा आनंद कभी नहीं आया है उसको शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता।महामहोत्सव की प्रमुख विशेषताएँ
इस आयोजन की सफलता का संपूर्ण श्रेय जाता है मुख्य आयोजक आदरणीय देव शास्त्र गुरू के परन भक्त व्यवहार कुशल दानवीर श्रीयुत मनीष गोधा एवं श्रीमती सपना गोधा परिवारजन इंदौर जिनकी सतत निष्ठा अनुशासन और समर्पण लगन मेहनत ने इस आयोजन को चार चांद लगा दिए। गुरुदेव चर्या शिरोमणि आचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज ने कहा कि भव्य जीव मनीष गोधा श्रीमति सपना गोधा तुमने ऐसा कोन सा पुण्य किया है कि एक साथ चार सो संत आपके घर की पर आ रहे है। वास्तव में मुझ पारस जैन “पार्श्वमणि”पत्रकार कोटा के विचार से “कई जन्मों का पुण्य उदय जब जीवन में आता है तब जाकर ऐसा भव्य आयोजन हो पाता है।उत्कृष्टता की ऊँचाइयों तक पहुँचाया जाता है।”
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण था 30 अप्रैल को चर्या शिरोमणि श्री विशुद्ध सागर जी महाराज का पट्टाचार्य पद पर विधिवत् शुशोभित होना। पंडित प्रवर श्री धर्म चंद शास्त्री के द्वारा समस्त मांगलिक क्रियाएं करवाई गई ।उसके बाद इस अवसर पर उपस्थित सभी आचार्य एवं मुनिराजों को संबोधन हेतु केवल पाँच मिनट का समय प्रदान किया गया। आश्चर्यजनक रूप से सभी ने इस अनुशासन का पालन करते हुए अपनी बातें संक्षेप में रखीं।
केवल एक विशेष मुनिराज को थोड़ा अधिक समय प्रदान किया गया क्योंकि उन्होंने अपने गुरु समाधिस्थ आचार्य श्री विराग सागर जी महाराज के अंतिम क्षणों का प्रत्यक्ष अनुभव साझा किया।जो श्रोताओं को अंतर्मन को गहराई तक छू गया।सुमति धाम की व्यवस्थाएँ लाजवाब अतुलनीय थीं। प्रातःसात बजे से नाश्ता, दोपहर दस बजे से सुस्वादिष्ट भोजन की व्यवस्था।
दो लाख से अधिक श्रद्धालुओं के लिए विशाल भोजनशाला, जहाँ बिना भीड़ और धक्का-मुक्की के सभी को भोजन मिला।जिसका लोगो ने भरपूर आनंद लिया।भोजन में हर आयु वर्ग के लिए विशेष ध्यान रखा गया बच्चों, युवाओं एवं वृद्धजनों के लिए अलग-अलग प्रकार के व्यंजन उपलब्ध थे।सबसे बड़ी बात ये थी कि वंहा दिनभर चाय, कॉफी आदि की सदैव सुविधा बनी रही।चार सो साधुओं के लिए चार सो पृथक चौंकों की व्यवस्था की गई जब एक साथ सभी संत आहार चर्या को उतरते थे तो वो दृश्य देख लोग भाव विभोर हो जाते। सैकड़ों लोगों ने इस अनुपम दृश्य को अपने मोबाइल में कैद किया।प्रबंध व्यवस्था की व्यवस्था तो देखते ही बनती थी
पैतालीस डिग्री तापमान होने के बावजूद भी विशाल पांडाल में एयर कंडीशनर की पर्याप्त व्यवस्था थी। सम्पूर्ण भूमि पर कालीन बिछाए गए जिससे श्रद्धालुओं के पाँव गर्मी से सुरक्षित रहें। साधुओं और आगंतुकों के लिए आवासीय व्यवस्था इतनी भव्य थी कि हर कोई प्रशंसा करता दिखा।सबसे बड़ा संदेश संपूर्ण भारत भर में ये गया कि
कार्यक्रम पूर्णतः निशुल्क था। न कहीं कोई चंदा, न रसीद, न दान पेटी – सच्चे अर्थों में सेवा और भक्ति का अनुपम उदाहरण पेश किया गया। सबसे बड़ी विशेष बात सभी साधुओं और चौका लगाने वालों को दूध,फल केसर सब्जी, अन्य आवश्यक सामग्री समय पर उपलब्ध कराई गई। हर चोके में
इस लिस्ट लगा दी गई। जिसमे टेंट पानी लाइट एवम कोई भी समस्या ही उन मोबाइल नबर पर काल कर दीजिए।
भक्ति, विनम्रता और आत्मीयता का महान संगम द्रष्टिगत हुआ।
पूरे आयोजन में श्री मनीष गोधा एवं श्रीमती सपना गोधा की सादगी से उपस्थिति एक प्रेरणा बनी रही। वे मंच पर नृत्य करते हुए, आनंद से झूमते हुए देखे गए। उनका सम्पूर्ण परिवार – माता सहित – इस समारोह की शोभा बना रहा। इतनी विशाल व्यवस्था के बीच उन्होंने कभी भी घमंड नहीं दिखाया। हर किसी से आत्मीयता से मिलना, विनम्रता से बात करना – यह उनके स्वभाव की सरलता का परिचायक था।कुल मिलाकर ये कह सकते है कि पट्टाचार्य महोत्सव
एक अनुपम अद्वतीय आदर्श आयोजन हुआ । जो को पुण्य शाली श्रद्धालुगण यहां पधारे अपने को महान पुण्य शाली समझा।
कार्यक्रम में पूरी तरह से विघ्न संतोषी प्रवृत्तियों पर सतर्क निगरानी रखी गई, जिससे संपूर्ण आयोजन निर्विघ्न सम्पन्न हो सका।
श्रद्धालुओं ने आयोजन की भाव विभोर होते हुवे कहा कि – हमने जितना सोचा था, उससे कहीं अधिक पाया।”सचमुच, ऐसा भव्य और अनुकरणीय कार्यक्रम वर्षों तक श्रद्धालुओ के मन मस्तिष्क पर चिर स्मरणीय रहेगा।
प्रस्तुति
राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी पारस जैन पार्श्वमणि पत्रकार कोटा 9414764980

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