मन को वश में करना सामान्य चीज नहीं है : प्रमुख सागर
डिमापुर : डिमापुर के श्री दिगंबर जैन मंदिर में आचार्य श्री प्रमुख सागर महाराज ससंघ के पावन सानिध्य में आज दसलक्षण महापर्व के छठे दिन उत्तम संयम धर्म भक्ति एवं हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर आचार्य श्री ने उत्तम संयम धर्म पर उपस्थित जन समूह को संबोधित करते हुए उत्तम सयम की महत्ता समझाते हुए सुगंध दशमी पर कहा कि संयम एक प्रकार का आत्मानुशासन है। लोग दूसरों पर शासन करना चाहते हैं, लेकिन खुद अनुशासित नहीं हो पाते हैं। घोड़े को यदि लगाम न लगी हो तो घोडा़ बेकाबू होकर अपने सवार को किसी खड्डे में गिरा देता है। इसी तरह इंद्रियों पर आत्मा यदि अंकुश न लगावे तो इंद्रिया भी आत्मा को दुर्गति में डाल देती है। इसलिए हमें अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण लगाकर इंद्रियों को अपने वश में रखना आवश्यक है। इसीलिए आगम में संयम का पालन मुनिराज और श्रावक दोनों के लिए वर्णित है। आचार्य श्री ने कहा कि संयम ही जीवन का श्रृंगार है। मनुष्य संयम धारण कर सकता है। इसलिए समस्त जीवों में वह श्रेष्ठ है। उल्लेखनीय है कि दस लक्षण पर्व ज्यो- ज्यो समापन की ओर जा रहा है, तप करने वालों में एक ज्वार सा आ रहा है। लगभग 90 से 100 भाई- बहाने दसलक्षण व्रत एवं उससे ऊपर की तपस्या कर रहे हैं।
यह प्रेस विज्ञप्ति पुष्प प्रमुख वर्षायोग समिति के मीडिया संयोजक राजेश ऐलानी द्वारा दी गई है।