ईटानगर : नाहरलागुन मे चातुर्मास हेतु विराजित गुरु मां ने भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि पर्युषण महापर्व मात्र जैनों का पर्व नहीं है, यह पूरे विश्व के लिए एक उत्तम और उत्कृष्ट पर्व है,क्योंकि इसमें आत्मा की उपासना की जाती है। संपूर्ण संसार में यही एक ऐसा पर्व है जिसमें आत्मरत होकर व्यक्ति आत्मार्थी बनता है। अलौकिक, आध्यात्मिक आनंद के शिखर पर आरोहण करता हुआ मोक्षगामी होने का सद्प्रयास करता है।यह आत्मा द्वारा आत्मा को पहचानने की शक्ति देता है। गुरु मां ने कहा कि यह पर्व मैत्री और शांति का पर्व है। इसलिए जिस किसी से भी आपका बैरभाव है, उससे शुद्ध हृदय से क्षमा मांग कर मैत्रीपूर्ण व्यवहार करें। जैन धर्म का यह दस दिवसीय पर्युषण पर्व एक ऐसा पर्व है जो उत्तम क्षमा से प्रारंभ होता है और क्षमावाणी पर समापन होता है।
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