परमेश्वर की भक्ति से प्राप्त होता है उच्चतम पद : उपाध्याय विरंजनसागरजी महाराज

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परमेश्वर की भक्ति से प्राप्त होता है उच्चतम पद : उपाध्याय विरंजनसागरजी महाराज
हडको कैलास शिल्प में समोशरण विधान के दूसरे दिन भारी संख्या में पहुंचे भक्त
विरंजनसागरजी महाराज ने समोशरण विधान के महत्व को समझाते हुए कहा कि परमेश्वर के समोशरण का एक बड़ा प्रभाव होता है. समोशरण में जो व्यक्ति विराजमान होता है, उसकी दरिद्रता दूर होती है. अंधे व्यक्ति की आंखों को प्रकाश मिलता है. यह सब उस व्यक्ति के कर्मों पर निर्भर करता है. व्यक्ति के कर्म कैसे हैं, इस पर सब कुछ आधारित होता है. परमेश्वर कभी किसी को कुछ नहीं देते, वे आपके कर्मों और पुण्य के आधार पर आपको प्रदान करते हैं. परमेश्वर की भक्ति करने से उच्चतम पद प्राप्त होता है.
हडको कैलास शिल्प में आयोजित समोशरण विधान के दूसरे दिन भारी संख्या में भक्त पहुंचे. इस अवसर पर मुनिश्री प्रभावसागरजी महाराज ने प्रवचन के माध्यम से बताया कि अहिंसा ही धर्म का सार है और समोशरण के बारे में जानकारी दी. आयोजन के दौरान उपाध्याय विरंजनसागरजी महाराज का पाद प्रक्षालन करने का सौभाग्य अमि तो कुमार
                 विजयकुमार गंगवाल परिवार को प्राप्त हुआ. भगवंत का शांति मंत्र करने का सम्मान आशा कैलाशचंद कासलीवाल को मिला. दूध अभिषेक का सौभाग्य पुष्पाबाई प्रेमचंद पाटणी को, शास्त्र भेंट करने का मान संगीता जितेंद्र पाटणी को और भगवंत की मंगल आरती करने का मान विग्रामदादा साहूजी परिवार को प्राप्त हुआ. कार्यक्रम की प्रस्तावना अध्यक्ष प्रकाश ठोले ने रखी और संचालन अशोक अजमेरा ने किया. इस
अवसर पर मनोज दगड़ा, कैलाश कासलीवाल सूरजमल छाबड़ा, नीलेश काला, पप्पू छाबड़ा, संजय लोहाड़े, सतीश ठोले, शुभम पांडे, योगेश ठोले, सुमित गंगवाल, कुणाल पांडे, सुवर्णा सतीश काला, पुष्पा कचरदास ठोले, शर्मिला चांदीवाल, रक्षा गौरव कासलीवाल, पंकज छाबड़ा, शीतल पाटणी, अमित गंगवाल, कैलास काला, ताराचंद झांजरी, ललित पाटणी, जितेंद्र पाटणी आदि उपस्थित थे.      नरेंद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल औरंगाबाद

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