आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के ब्रह्मलीन होने से हुआ एक युग का अंत
फागी संवाददाता
चंद्रगिरी तीर्थ डोंगरगढ में विराजित संपूर्ण जैन समाज के महानायक आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के अचानक आज उत्तम सत्य धर्म के रोज सम्यक ब्रह्मलीन समाधि होने से कस्बे सहित परिक्षेत्र के सारे जैन समाज में शोक की लहर छा गई, अखिल भारतीय वर्षीय जैन महासभा के प्रतिनिधि राजाबाबू गोधा ने शोक व्यक्त करते हुए बताया कि आचार्य श्री श्रमण संस्कृति के महामहिम संत थे, उनकी समाधि से श्रमण संस्कृति का सूर्य अस्त हो गया। उन्होंने अपनी साधना और चर्या से श्रमण संस्कृति को सदैव गौरवान्वित किया है। उन्होंने इंडिया नहीं भारत बोलो का नारा बुलंद कर संपूर्ण जगत में जैन धर्म को नई पहचान दी थी।उनकी समाधि से सम्पूर्ण राष्ट्र सहित पूरे विश्व में शोक की लहर व्याप्त है सारे विश्व में उनके अनुयाई हैं। सत्य ,अहिंसा और अपरिग्रह से ओतप्रोत मुनि राज धरती के देवता थे, आचार्य श्री विद्यासागर जी महा मुनिराज का समाधिष्ट होना एक युग का अंत है।
कस्बे के केलास कलवाडा, मोहनलाल झंडा, सोहनलाल झंडा, रामस्वरूप मंडावरा, चम्पालाल जैन, सुरेश सांघी ,केलास कासलीवाल,अग्रवाल समाज के अध्यक्ष महावीर झंडा, सरावगी समाज के अध्यक्ष महावीर अजमेरा संतोष बजाज, महेंद्र बावड़ी, पवन गंगवाल,टीकम गिंदोडी, सुरेंद्र पंसारी,अनिल कठमाना,मंदिर समिति के मंत्री कमलेश चोधरी, विनोद मोदी,त्रिलोक पीपलू, मितेश लदाना, तथा राजाबाबू गोधा सहित सभी पदाधिकारियों एवं श्रावकों ने शोक व्यक्त किया है।
राजाबाबु गोधा जैन महासभा मीडिया प्रवक्ता राजस्थान