परम्परा भले अलग हो लेकिन मनभेद ना हों- आ. श्री उदार सागर जी

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सागर/- परम पूज्य आचार्य श्री उदार सागर जी महाराज की प्रेरणा एवं मंगल सान्निध्य में स्थानीय विद्वत संगोष्ठी एवं सम्मान समारोह कार्यक्रम 13 अगस्त 2023 रविवार को चारित्र चक्रवर्ती आचार्य श्री शांतिसागर जी महाराज के व्यक्तित्व एवं कृतित्व विषय पर श्री दिगंबर जैन मंदिर, तिलकगंज सागर में संपन्न हुई। प्रथम उद्घाटन सत्र का मंगलाचरण श्रीमती रजनी चौधरी, पं राकेश शास्त्री ने किया।  आचार्य श्री शांति सागर जी महाराज का चित्रावरण, दीप प्रज्वलन , पाद प्रक्षालन, शास्त्र भेंट उपस्थित विद्वानों एवं मंदिर समिति के पदाधिकारियों द्वारा किया गया।
परम पूज्य चारित्र चक्रवर्ती आचार्य श्री शांति सागर जी महाराज का आचार्य पदारोहण शताब्दी वर्ष, संगोष्ठी सत्र की अध्यक्षता पं. नन्हे भाई शास्त्री वर्धमान कॉलोनी ,सारस्वत अतिथि पं. सुखदेव जैन नेहा नगर, पं. नेमीचंद विद्यार्थी दिल्ली रहे।संगोष्ठी कुलपति डॉ.हरिशचंद्र शास्त्री मुरैना, संगोष्ठी निर्देशक प्रतिष्ठाचार्य पं. पवन दीवान मुरैना  मंचासीन रहे । मुख्य अतिथि पूर्व विधायक सुनील जैन, युवा उद्योगपति कपिल मलैया सागर रहे।संचालन पं. राजेश जैन राज भोपाल , पं. अंकित जैन अतिशय तिलकगंज आभार संयोजक पं. मनीष विद्यार्थी ने माना । प्रथम सत्र में पं. पवन दीवान ने आचार्य श्री शांतिसागर जी महाराज एवं उनका गृहस्थ जीवन विषय पर अपना आलेख वाचन किया । डॉ हरीश चंद्र शास्त्री ने परम पूज्य गणेश प्रसाद वर्णी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व विषय आलेख का वाचन किया।
द्वतीय सत्र दोप. 2 बजे से मंगलाचरण पं. संदीप शास्त्री ने किया। सत्र अध्यक्षता डॉ. हरिश चंद्र शास्त्री, सारस्वत अतिथि पं. राजकुमार शास्त्री,पं.राकेश जैन भाग्योदय,संचालन पं. पवन दीवान मुरैना आळेख प्रस्तुत कर्ता डी. राकेश जैन,पं. नन्नेभाई शास्त्री, एड.रश्मि रितु,पं. राजकुंमार शास्त्री,पं. अंकित जैन अतिशय , पं. राजेश जैन राज रहे। आशीष वचन में आचार्य श्री उदारसागर जी ने कहां कि हम सभी का सौभाग्य है कि हमें ऐसे महानतम आचार्य के आचार्य पद पदारोहण शताब्दी वर्ष मनाने का अवसर प्राप्त हुआ। 19 वीं शताब्दी के महान संत चारित्र चक्रवर्ती आचार्य शांतिसागर जी महाराज ने आचार्य श्री देवेंद्र कीर्ति जी महाराज से मुनि दीक्षा ली । मुनि परंपरा को पुनर्जीवित करने का कार्य करने वाले आचार्य शांति सागर जी महाराज है। सन् 1932 में दो परम्पराओं के आचार्य शांति सागर जी दक्षिण एवं आचार्य शांति सागर जी छाणी का ब्यावर राज. में चातुर्मास होना,वर्तमान समय में पंथ- परम्पराओं के बीच मनभेद दूर करने के लिए ,एक उदाहरण है, जिसे हम सभी को याद दिलाने की जरूरत है । ऐसे ही महान संत परम पूज्य गणेश प्रसाद जी वर्णी का जन्म असाटी समाज में हुआ था, लेकिन जैन धर्म से प्रभावित होकर शिक्षा के क्षेत्र में उत्करणीय कार्य करने वाले महानतम संत थे। वर्णी जी  की जन्मस्थली पर वर्णी स्मारक की जगह , शिक्षा संस्थान की स्थापना होनी चाहिए, जिससे उन्हें हम सभी याद करते हैं ।
उपस्थित विद्वानों में ब्र. राकेश भैया,ब्र. संजीव भैया, एड. रश्मि रितु,पं. राकेश शास्त्री, पं. दामोदर जैन पं. विजय कुमार शास्त्री, पं. चिन्मय जैन टीकमगढ़ , पं. आनंद कुमार शास्त्री, प्रतिष्ठाचार्य नन्हे भाई शास्त्री, पं. श्रवण कुमार शास्त्री , पं. राजेश जैन राज भोपाल , पं. राजकुमार शास्त्री ,पं. मुन्नालाल जैन सागर ,पं. सुखदेव जैन, पं. राजेंद्र कुमार सुमन, पं. कस्तूरचंद जैन, डॉ. संजय जैन, पं. मनोज शास्त्री, पं. नेमीचंद विद्यार्थी, पं. विमल कुमार शास्त्री ,पं. प्रकाश चंद्र जैन, पं. मनीष विद्यार्थी , पं.राकेश जैन रत्नेश, पं, कोमल चंद्र शास्त्री , पं. मनोज शास्त्री, पं. संजीव शास्त्री, पं.आशीष शास्त्री बंडा, पं. सुदर्शन शास्त्री , पं. मोहित शास्त्री, पं. मुन्नालाल जैन  ब्र. अंजना दीदी, विदुशी अनीता छाया,विदुशी सरिता जैन आदि ।
प्रकाशनार्थ
श्रीमान संपादक/ संवाददाता महोदय जी
जर्नलिस्ट मनीष विद्यार्थी
9926409086

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