परम पूज्या श्रमणी गणिनी आर्यिका श्री 105 विशा श्री माता जी का बड़नगर में मनाया अवतरण दिवस जोर जोर से

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परम पूज्या श्रमणी गणिनी आर्यिका श्री 105 विशा श्री माता जी का बड़नगर में मनाया अवतरण दिवस जोर जोर से

फागी संवाददाता
13 अक्टूबर 2025
परम पूज्या विशाश्री माताजी का बड़नगर के स्वाध्याय भवन 20 पंथी मंदिर में सकल जैन समाज एवं मंदिर समिति तथा महिला मंडल की उपस्थिति में 13 अक्टूबर 2025 को भव्यता के साथ अवतरण दिवस मनाया गया, कार्यक्रम में राजस्थान जैन सभा की नवनिर्वाचित महिला राखी जैन ने शिरकत करते हुए बताया कि गुरु माँ का पाद प्रक्षालन संघस्थ ब्रह्मचारिणी प्रखर श्री दीदी के माता पिता द्वारा प्रखर श्री दीदी के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में किया गया। कार्यक्रम की इसी श्रृंखला में बड़नगर महिला मंडल द्वारा शास्त्र भेंट एवं गुरु माँ की पूजा सकल समाज एवं गुरु माँ भक्तों द्वारा बड़ी भक्ति भाव से की गई कार्यक्रम में माताजी के अवतरण दिवस दूर दराज से काफी भक्त गण शामिल हुए इसमें जयपुर से पधारे पंकज- मधु पांड्या, राखी जैन एवं इंदौर से रिसिल सेजल जैन एवं भिंड से निखिल जैन राजेश जैन एवं अन्य भक्तगणों कार्यक्रम में सहभागिता निभाते हुए धर्म लाभ प्राप्त किया। कार्यक्रम में आर्यिका श्री 105 विशा श्री माताजी के बारे में श्रीमती राखी जैन ने अपनी भावनाओं के माध्यम से बताया कि
“शिल्पी ने जब देख लिया पत्थर में भगवान,
उपलखंड को हटा दिया प्रकट हुए मूर्तिमान।‌।
हे गुरु! उस शिल्पी सम तुम, मम् जीवन को धन्य करो, पाप खंड को हटा सकूं मुझमें ऐसी बोधि प्रदान करो”।।
जब तक जीवन भगवत्ता को प्राप्त नहीं होता तब तक वह जन्म लेने की श्रृंखला में बंधा रहता है लेकिन कुछ विरले जीव होते है जो इस जन्म की महत्त्वता को समझकर अपने जीवन को एक नई दिशा प्रदान करते हैं और अपने जन्म को सार्थक बनाते हैं, उन महान आत्माओं में एक भव्य जीव पूज्य गुरु माँ जिनने अपने जीवन को भगवान बनने का मार्ग प्रदान किया वह दिन था कार्तिक कृष्णा सप्तमी जो गुरु माँ के जन्म से शुभ हो गया इनका जीवन सहज सरलता से भरा हुआ पूर्ण कुंभ है एवं परमानंद की प्राप्ति ही इनके जीवन की मुख्य आधार शिला है।
क्योंकि जिस प्रकार बिना आधार के निर्माण नहीं होता उसी प्रकार जब तक परमानंद की प्राप्ति का आधार नहीं होगा तब तक निर्वाण भी नहीं होगा ऐसा गुरु माँ का सम्यक चिंतन है इसी चिंतन से गुरु ने अपने शिष्यों को भी पूर्णतः सम्यकता प्रदान की है गुरु माँ की गुरु भक्ति एवं प्रभु भक्ति ही एक ऐसी औषधि है जिससे इन्होंने अनेक कर्मों पर विजय प्राप्त की, इनकी छत्रछाया में रहकर कितने ही शिष्य, इस भोगों की ज्वाला से निकलकर वैराग्य मयी जल के द्वारा शीतलता प्राप्त कर रहे हैं। इनका वात्सल्य करुणा ही ऐसी है जिससे कोई भी जीव इनके आभामंडल से प्रभावित होकर इनके चरणों में समर्पित हो जाता है,गुरु माँ के आकर्षण ने बांधा, इनसे नाता जोड़ लिया,
सारी सृष्टि माया लगती, गुरु का दामन थाम लिया।चमत्कारी हे गुरु माँ तुम तो जादू टोना न करती,सम्मोहित हो जाते स्वतः ही, सबके मन को तुम हरती।।ये शीघ्र ही अपने अंतिम लक्ष्य मोक्ष रूपी महान तत्व को प्राप्त करें एवं शीघ्र ही सिद्धों के बीच पूर्ण विश्राम को प्राप्त करें एवं अपने जन्म को सार्थक करें।।।

गुरु पाद पद्माश्रिता,
श्रमणी आर्यिका सार्थकश्री

राजाबाबू गोधा जैन गजट संवाददाता राजस्थान

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