राजा आदिनाथ की बारात में झूम उठे श्रावक व श्राविका
वैराग्य धारण कर जैनेश्वरी दीक्षा की ग्रहण तो भावुक हो उठे नर नारी
जीवन का वास्तविक लक्ष्य दीक्षा प्राप्त कर मोक्ष की प्राप्ति:- आचार्य वसुनंदी महाराज
(डीग) संसार चक्र से मुक्ति प्राप्त करने हेतु मानव जीवन में ही दीक्षा लेकर वास्तविक लक्ष्य मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। न जाने कितने भवो में भटकने के बाद हमें यह मानव जीवन मिलता है इसे यूं ही व्यर्थ नहीं गवाना चाहिए अपितु कल्याण के मार्ग पर अग्रसर हो जाना चाहिए यही मानव जीवन की सार्थकता है उक्त प्रवचन जैन आचार्य वसुनंदी महाराज ने मेला ग्राउंड डीग में आयोजित हो रहे भव्य पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के तीसरे दिन तप कल्याणक में दीक्षा प्रदान करते हुए जैन श्रावकों से व्यक्त किये।
पंचकल्याणक समिति के महामंत्री वीरेंद्र जैन ने बताया कि विशाल अयोध्या नगरी में महाराजा आदिकुमार की बारात बड़ी धूमधाम से निकाली गई तो उपस्थित नर नारी भक्ति विभोर हो नृत्य करने लगे। इस अवसर पर महाराजा नाभि राय का वृहद राजदरबार सजाया गया और युवराज आदि कुमार के राज्याभिषेक कर राज्य की बागडोर सुपुर्द की गई।
नीलांजना नृत्य देख हुआ वैराग्य राज दरबार में नर्तकी नीलांजना का नृत्य आयोजित किया गया तो नृत्य के दौरान नीलांजना की मृत्यु को देखकर महाराज आदिनाथ को वैराग्य हो गया और राज्य अपने पुत्रों भरत और बाहुबली को सुपुर्द कर जैनेश्वरी दीक्षा धारण कर ली। इस अवसर पर नवीन पिच्छिका सत्येंद्र जैन धर्मचंद जैन कामां द्वारा व कमण्डलु पारस जैन संदीप जैन सौधर्म इंद्र परिवार जुरहरा द्वारा भेंट किये गए।
आदिनाथ की शिक्षाओं का हुआ विवेचन जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ के काल से पूर्व सभी जरूरत की वस्तुएं कल्पवृक्ष से प्राप्त होती थी।किंतु शने शने कल्प वृक्ष ने वस्तुओं को प्रदान करना बंद कर दिया तो आदिनाथ भगवान ने इस संपूर्ण विश्व को असी,मसी, कृषि, शिल्प, कला और वाणिज्य की छह शिक्षाओं से अवगत कराकर जीवन जीने की कला सिखाई। उन्होंने अंक विद्या व लिपि विद्या का भी ज्ञान कराया जो कि आज के युग में भी प्रासंगिक है। भगवान आदिनाथ के वैराग्य एवं दीक्षा की विधियों को देखकर उपस्थित जन समुदाय भाव विभोर हो गया और दीक्षा की अनुमोदना करने लगा। ज्ञात रहे की डीग नगर में सैकड़ो वर्ष पश्चात बड़ा ही भव्य दिव्य पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन चल रहा है जिसमें प्रतिदिन हजारों की संख्या में जैन श्रावक – श्राविकाएं दर्शनार्थ पहुंच रहे हैं। जैन समाज डीग के युवा,बुजुर्ग,महिला व बच्चे सभी व्यवस्थाओं में व्यस्त रहते हुए अतिथियों का आतिथ्य बड़े प्रेम भाव से कर रहे हैं।डीग में बंसी पहाड़पुर के पत्थर से निर्मित पार्श्वनाथ जैन मन्दिर का जीर्णोद्धार किया गया है।
कल ज्ञान कल्याणक महोत्सव पंचकल्याणक समिति के अध्यक्ष गोपाल प्रसाद जैन ने अवगत कराया कि शनिवार को भगवान का दीक्षा कल्याणक पर्व मनाया जाएगा तो इक्छु रस से आहार क्रिया व दोपहर पश्चात भव्य समोशरण की रचना की जाएगी जहां गणधर परमेष्ठी के रूप में आचार्य वसुनंदी महाराज विराजमान हो सबकी शंकाओं का समाधान करेंगे। वही रात्रि को जैन भजन सम्राट रूपेश जैन द्वारा भजनों की प्रस्तुति दी जाएगी।
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