आचार्य शशांक सागर जी महाराज स संघ के पावन सानिध्य में जयपुर शहर की इंजीनियरिंग कॉलोनी मानसरोवर में चल रहे भव्य पंचकल्याणक महा महोत्सव में तीर्थंकर शांति नाथ की निकाली भव्यशोभा यात्रा
पंचकल्याणक महोत्सव में हुआ तीर्थंकर का जन्म, निकाली नगर यात्रा, हुआ पंचामृत महामस्तकाभिषेक
फागी संवाददाता
जयपुर शहर की इंजीनियरिंग कॉलोनी मानसरोवर में आचार्य शशांक सागर जी महाराज स संघ के पावन सानिध्य चल रहे पंचकल्याणक महामहोत्सव में रविवार 14 जून 2025 को महोत्सव में जन्म और तप कल्याणक की क्रियाएं संपन्न हुई। उक्त कार्यक्रम में जैन गजट के राजा बाबू गोधा ने शिरकत करते हुए बताया कि
मानसरोवर के न्यू सांगानेर रोड़ स्थित मान्यावास के इंजीनियर्स कॉलोनी के राधा रानी गार्डन में चल रहे तीन दिवसीय पंचकल्याणक महोत्सव के दूसरे दिन रविवार को प्रातः 6.30 बजे आचार्य शशांक सागर महाराज ससंघ सान्निध्य और बाल ब्रह्मचारी पंडित धर्मचंद शास्त्री और ब्रह्मचारी जिनेश भैया के दिशा निर्देश में जन्मकल्याणक की क्रियाएं बीज मंत्रों के साथ प्रारंभ हुई, जिसमें सर्व प्रथम मारुदेवी (तारादेवी छाबड़ा) द्वारा भगवान जन्म हुआ, जिसके बाद भगवान को नगर भ्रमण कराते हुए जयकारों की दिव्य गूंज से आसमान गुंजायमान हो उठा और सौधर्म इंद्र एवं दिवाकर शिल्पी जैन चित्तौड़ा तीर्थंकर बालक को अपने मस्तक पर बिठा बैंड-बाजों और जयकारों के साथ नाचते गाते हुए तीर्थंकर बालक को लेकर पांडुशिला की चलने लगे और नगर में दिव्यगूंज की लहर दौड़ पड़ी और सभी श्रावक और श्राविकाएं सौधर्म के साथ नगर यात्रा में साथ चलने लगे और देखते ही देखते सारे इंद्र पुष्प वर्षा करते हुए चलने लगे, धनपति कुबेर इंद्र अशोक सीमा जैन द्वारा पूरे नगर में रत्नवृष्टि की गई। पांडुकशिला पर तीर्थंकर बालक को विराजमान किया गया और बीज मंत्रों और अष्ट द्रव्यों के साथ जन्म स्थापना कर जल, चन्दन, केसर, गुलाब, नारियल, अनार, संतरा, दूध, दही, घी इत्यादि 21 रसों से सभी प्रमुख इंद्र इंद्राणियों द्वारा कल्षाभिषेक किया गया, इस अवसर पर लगभग 251 से अधिक श्रद्धालुओं ने जन्माभिषेक कलश में भाग लिया,महोत्सव समिति प्रचार संयोजक अभिषेक जैन बिट्टू एवं
महोत्सव संयोजक सपन छाबड़ा तथा मनीष छाबड़ा ने बताया कि जन्म और तप के अवसर पर पंडित धर्मचंद शास्त्री व ब्रह्मचारी जिनेश भैया के निर्देशन दिनभर अष्ट द्रव्यों से पूजन का भी दौर लगातार चलता रहा और जन्म, तप कल्याणक की आंतरिक क्रियाएं पूरी रात भर चलती रही इस दौरान रविवार को 1008 अर्घ्य और नारियल चढ़ाए गए। इससे पूर्व आचार्य शशांक सागर महाराज ने पाषाण की मूर्तियों को सूर्य मंत्र देखकर भगवान बनने की प्रक्रिया को संपन्न कराया ।
राजाबाबू गोधा जैन गजट संवाददाता राजस्थान