पलवल स्थित जैन तीर्थ श्री पार्श्व पद्मावती धाम अपने आप में एक अद्वितीय और चमत्कारिक आस्था-स्थल है। यह वह पावन भूमि है जहाँ भूगर्भ से अति प्राचीन दिव्य प्रतिमाएँ स्वयं प्रकट होकर इस धरा को धन्य कर चुकी हैं।
आगामी २३ अगस्त २०२५ (शनिवार) शनि अमावस्या को यहाँ एक भव्य और अलौकिक आयोजन होने जा रहा है। इस दिन तीर्थ परिसर में विराजमान शनि ग्रह अरिष्ट निवारक, भूगर्भ से अवतरित श्री मुनिसुव्रत नाथ भगवान का अभिषेक और विशेष पूजन संपन्न होगा।
धाम की महिमा का वर्णन शब्दों में संभव नहीं, क्योंकि यहाँ विराजमान प्रतिमाएँ केवल पत्थर की मूर्तियाँ नहीं, बल्कि जीवंत आस्था और आत्मबल का प्रत्यक्ष स्वरूप हैं। सभी प्रतिमाएँ भूमि से खनन द्वारा प्रकट हुईं और आज श्रद्धालुओं के लिए संकटमोचक, रक्षा-कवच और मोक्ष-मार्ग की प्रेरणा बनी हुई हैं।
यहाँ क्रमवार विराजमान प्रतिमाएँ इस प्रकार हैं—
1.श्री मुनिसुव्रत नाथ भगवान — शनि ग्रह अरिष्ट निवारक, जो साधक के जीवन से सभी ग्रहबाधाएँ दूर करने वाले माने जाते हैं।
2.श्री आदिनाथ भगवान — प्रथम तीर्थंकर, जिनकी प्राचीन प्रतिमा साधना और वैराग्य का अनुपम प्रतीक है।
3.श्री पार्श्वनाथ भगवान — करुणा और धर्म की सजीव मूर्ति, जिनकी भव्य प्रतिमा धाम का अलंकार है।
4.श्री पद्मावती माता — संकट हरण करने वाली, श्रद्धालुओं की रक्षा करने वाली दिव्य शक्ति।
5.शासन रक्षक देव क्षेत्रपाल बाबा — जिनकी प्रतिमा तीर्थ का अदृश्य कवच है और जो धर्म की रक्षा हेतु सदा जाग्रत माने जाते हैं।
श्री पार्श्व पद्मावती धाम की महिमा इतनी अद्वितीय है कि यहाँ दर्शन करने मात्र से मन को शांति और आत्मा को नई ऊर्जा का अनुभव होता है। शनि अमावस्या के इस पावन दिन पर किया जाने वाला अभिषेक और पूजन श्रद्धालुओं के लिए जीवन का दुर्लभ अवसर है।
इस अवसर पर तीर्थ संयोजक नितिन जैन ने कहा—
“श्री पार्श्व पद्मावती धाम पलवल केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि यह तीर्थ जीवंत चमत्कारों और आत्मिक उर्जा का केंद्र है। यहाँ भूगर्भ से प्रकट हुईं प्रतिमाएँ साक्षात् भगवान की कृपा का प्रतीक हैं। मैं सभी श्रद्धालुओं और धर्मप्रेमियों से निवेदन करता हूँ कि इस पावन अवसर पर अवश्य पधारें और भगवान के अभिषेक व पूजन से अपने जीवन को कृतार्थ करें।”