पर्याय रूप से कुछ भी शाश्वत नहीं है – आचार्य सुनील सागर

0
154

भागदौड़ की इस जिंदगी में भी श्रावक सुबह-सुबह भोर होते ही चातुर्मास स्थल भट्टारकजी की नसिया पहुंच जाते हैं। प्रातः बेला में भगवान जिनेंद्र ऋषभदेव स्वामी का जलाभिषेक हुआ, पश्चात गुरुदेव की मधुर वाणी से शांति मंत्रों का उच्चारण हुआ, जगत में सभी जीवो के प्रति शांति की कामना की गई ,पूरा जिनालय जय घोष से गुंजायमान हो गया। उक्त जानकारी देते हुए चातुर्मास व्यवस्था समिति के प्रचार मंत्री रमेश गंगवाल ने बताया कि पूर्व आचार्य भगवन्तो के चित्र का अनावरण समाजश्रेष्ठीयों ने संयुक्त रूप से किया, दीप प्रज्वलन के पश्चात अर्घ्य अर्पण करते हुए पूर्व न्यायाधीश नरेश कुमार सेठी, अधिवक्ता हेमंत सोगाणी, कमल बाबू जैन, रूपेंद्र छाबड़ा,  ओमप्रकाश काला सभी ने गुरुदेव के पाद प्रक्षालन किए और आचार्यश्री को जिनवाणी शास्त्र भेंट किया।

गणिनी आर्यिका गौरवमती माताजी कि उत्तम समाधि होने के पश्चात सन्मति सुधीर सभा मंडप में विनयांजलि सभा का गुणगान हुआ। सभा को चातुर्मास व्यवस्था समिति के मुख्य संयोजक रुपेंद्र छाबड़ा ने पूज्य माताजी को विनयान्जलि प्रस्तुत की। इसके पश्चात राकेश सेठी कोलकाता, जनकपुरी अध्यक्ष पदम बिलाला ने पूज्य गुरु माता को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा पूज्य माता जी से हम कई वर्षों से जुड़े हुए थे जनकपुरी जब वें पधारी थी तब जिनालय में अनेक कार्य उनके सानिध्य में हुए थे। पंडित धर्मचन्द शास्त्री अष्टापद तीर्थ के अधिष्ठाता ने पूज्य गुरुमां के अनेक संस्मरण सुनाते हुए बताया पूज्य गुरु माता के शुभ आशीर्वाद से जो मूर्ति बनने में समय वास्तविक रूप से लगता वह मात्र 17 दिन में ही पूर्ण हो गया उनके गुणानुवाद करने हेतु बहुत से संस्मरण हैं पूज्य माताजी के पास कोई भी व्यक्ति अपनी समस्या लेकर आता तो गुरु मां सहज भाव से समाधान करती थी।

किरण दीदी ने विनय सुमन अर्पित करते हुए कहा गुरु का हाथ अगर सिर पर हो तो मन को अत्यधिक संतुष्टि मिलती है पूज्य गुरु माता का मुझ पर पूर्ण आशीर्वाद था। कमलबाबू जैन ने पूज्य गुरु माता के सम्मेद शिखरजी में निर्माण के संस्मरण सुनाते हुए कहा सन 2007 से जयपुर के इतिहास के पन्ने माताजी से जुड़े हुए हैं श्याम नगर महिला मंडल की सभी सदस्याओं ने महिला अभिषेक के विषय में संस्मरण बताते हुए विनयान्जली अर्पण की। भागचंद चूड़ीवाल ने पूज्य गुरु मां को भावांजलि प्रस्तुत करते हुए आचार्य जी से निवेदन किया कि गुरुदेव संघ सहित बड़ के बालाजी गांव अवश्य पधारने की कृपा करें। नरेश कुमार सेठी ने गुरु मां को विनयान्जली अर्पित की।

राजेन्द्र बड़जात्या ने जानकारी दी पूज्य गुरुदेव ने अपने मंगलमय उद्बोधन में कहा ” पर्याय रूप से कुछ भी शाश्वत नहीं है पर्याय बदलती है, देह बदलती है, परंतु धन्य है वह जीव जो देह परिवर्तन के समय पर अपने को शांत चित्त रखते हैं। गुरुदेव ने कहा गौरवमती माताजी जयपुर में 15 चातुर्मास कर चुकी थी सभी देव शास्त्र गुरु की श्रद्धा में साधक बने। क्षपक की अवस्था के बारे में समझाते हुए, कहा सांस तेज हो गई हो, आंखें बार-बार खुल कर बंद हो रही हो, तब जोर से नहीं बोलना चाहिए क्योंकि उस समय जो वेदना होती है और वेदना की तरफ उस समय ध्यान नहीं जाना चाहिए ।उत्तम समाधि मरण होता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here