टोंक शहर में वात्सल्य वारिधी आचार्य वर्धमान सागर जी महाराज स संघ के पावन सानिध्य में जैन धर्म के 23 वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ का मनाया निर्वाणोत्सव हर्षोल्लास पूर्वक
निर्वाण परम सुख हैं क्षमा से सुख और क्रोध और बैर से दुख ही मिलता है
आचार्य श्री वर्धमान सागर
फागी संवाददाता
टोंक 31 जुलाई
टोंक शहर में वात्सल्य वारिधी आचार्य वर्धमान सागर जी महाराज स संघ के पावन सानिध्य में पावन चातुर्मास वाचना अनेक धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं कार्यक्रम समाज के प्रवक्ता पवन कंटान ने बताया कि 31 जुलाई को आचार्य वर्धमान सागर जी महाराज के पावन सानिध्य में प्रातः अभिषेक शांतिधारा अष्ट द्रव्यों से पूजा अर्चना के बाद विभिन्न तीर्थंकरों के अर्घ्य समर्पित कर सुख समृद्धि की कामना की कार्यक्रम में भरी धर्म सभा में आचार्य श्री ने श्रृद्धालुओं को मोक्ष के बारे में प्रकाश डालते हुए कहा कि क्रोध जब लंबे समय रहता है तो वह बैर का रूप लेता है और बैर के कारण कई जन्मों तक यह बेर निरंतर चलता रहता है वह जीव नर्कगति सहित दुख ही प्राप्त करते हैं जो क्षमा ,दया साम्य भाव रखते हैं वह अनेक उच्च गति मुनि, चक्रवती राजा महा मंडलेश्वर राजा सहित बहुत सुख प्राप्त कर एक दिन मोक्ष को भी प्राप्त करते हैं। उनका निर्वाण मोदक चढ़ाया जाता हैं यह मंगल देशना 23वें तीर्थंकर 1008 श्री पार्श्वनाथ भगवान के मोक्ष कल्याणक के अवसर पर आयोजित धर्मसभा में पंचम पट्टाधीश वात्सल्य वारिधी आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज ने प्रकट की। कार्यक्रम में आचार्य श्री ने अपने मंगलमय उद्बोधन में बताया कि श्री पार्श्वनाथ भगवान 10 भव पूर्व मरूभूति थे ओर कमठऔर मरुभूति सगे भाई थे सभी 10 भवो की विवेचना में बताया कि क्रोध बेर का स्थाई रूप लेने से जीव अनेक भवों तक दुख ही दुख प्राप्त करता है ।आचार्य वर्धमान सागर जी संघ सानिध्य में 23वें तीर्थंकर श्री पार्श्वनाथ भगवान का पंचामृत अभिषेक पूजन भक्ति भाव से कर मोक्ष कल्याणक पर मोदक लाडू चढ़ाया गया। आचार्य श्री ने सभी भगवान के सही नाम उच्चारण करने की नसीहत दी और कहा कि लौकिक जीवन में बहुत अधिक प्रसन्न होने पर आप मिठाई लड्डू वितरित करते हो उसी प्रकार भगवान के मोक्ष कल्याणक की खुशी प्रसन्नता के कारण मोदक लड्डू चढ़ाया जाता हैं क्योंकि निर्वाण का सुख परम सुख है इसके पूर्व आचार्य श्री सभी साधुओं अन्य कॉलोनी आदर्श नगर गए जहां पर श्री पार्श्वनाथ भगवान का भव्य पंचामृत अभिषेक 23 से अधिक द्रव्यों से पुण्यार्जक परिवारों द्वारा किया गया।जैन धर्म प्रचारक पवन कंटान व विकास जागीरदार अनुसार धर्म सभा से पूर्व श्रीजी एवं आचार्य शांतिसागर, आचार्य वीर सागर, आचार्य शिव सागर, आचार्य धर्म सागर, आचार्य अजीत सागर महाराज के चित्र अनावरण एवं दीप प्रज्वलन आचार्य श्री का पाद प्रक्षालन एवं जिनवाणी भेंट अमीरगंज नसिया के श्रावकों द्वारा कर बड़े भक्ति भाव से आचार्य वर्धमान सागर जी महाराज की अष्ट द्रव भव्य रूप से सुशोभित भजनों से भक्ति नृत्य करते हुए अर्घ्य समर्पित किए। जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर पारसनाथ भगवान का मोक्ष कल्याणक महोत्सव बड़े भक्ति भाव पूर्वक निर्वाण काण्ड बोलकर आचार्य श्री के सानिध्य में श्रेष्ठी टीकमचंद, श्यामलाल, धर्मचंद, लालचंद, आशीष कुमार फूलेता परिवार द्वारा निर्वाण लाडू चढ़ाया गया ।
इस मौके पर पदमचंद आंडरा, विमल बरवास, अनिल आंडरा, रमेश काला, राजेश सर्राफ, मुकेश बरवास, नेमीचंद बनेठा, कमल सर्राफ, सुनील सर्राफ, एंजे दाखिया, नीटू छामुनिया, ओम ककोड़, अंकुर पाटनी, अनिल सर्राफ, सोनू पासरोटियां, पुनीत जागीरदार, विकास अतार, मनीष अतार, मनोज बहड,आशु दाखिया, राहुल पासरोटियां, सोहम कंटान, लोकेश कल्ली, जीतू बनेठा आदि मौजूद रहे ।
राजाबाबू गोधा जैन गजट संवाददाता राजस्थान