नैनवां में नयनाभिराम दृश्य देख लोग हैरान

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संयम तप त्याग की मूर्ति मुनि श्री संविज्ञ सागर जी महामुनिराज ने
33 वा उपवास के बाद जल ग्रहण किया
अभी चल रही निर्विघ्न साधना

✍️पारस जैन पार्श्वमणि की कलम से

बूंदी राजस्थान

राणा प्रताप मीरा और पन्ना धाय के तप त्याग और साधना की पावन वसुंधरा राजस्थान प्रांत के प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण हाड़ी रानी और कवि सूर्य मल मिश्रण की कर्म भूमि, छोटी काशी के नाम से सुविख्यात बूंदी जिले का धर्म प्राण कस्बा नैनवां धन्य हो गया।
नैनवां
महान गुरू के महान शिष्य की साधना का स्वर्णिम इतिहास लिखा जाएगा नैनवां की पावन धरा पर
नैनवा के इतिहास में प्रथन बार
परम पूज्य आचार्य श्री आदिसागर जी अंकलीकर परम्परा के चतुर्थ पट्टाचार्य प्राकृत केसरी ,भक्तों के भगवान ,तीर्थ रक्षक आचार्य 108 श्री सुनील सागर जी महामुनिराज के परम प्रभावक शिष्य, तपस्वी मुनि 108 श्री संविज्ञ सागर जी महामुनिराज ससंघ का पावन वर्षायोग धर्म परायण नगरी नैनवा जिला बूंदी राज. में श्रद्धा भक्ति भाव,आनंद और उत्साह के साथ हर्षोल्लास के मंगलमय वातावरण में चल रहा है ।
जैन सिद्धांतो का लोहा तो विज्ञान भी स्वीकार करता है
दिगम्बर मुनिराज की साधना के आगे विज्ञान भी नतमस्तक
ऐसा ही अदभूत अपूर्व अविस्मरणीय नजारा नैनवा कस्बे में देखने को मिल रहा है। मुनि संघ में मुनि श्रुतेश सागर महाराज क्षुल्लक सुप्रकाश सागर जी महाराज विराजमान है।
मुनि श्रीससंघ का चातुर्मास कलश स्थापना दिनांक 21/07/2024 हुई। तभी से निरंतर
दो निर्जल उपवास एक आहार की साधना
दिनांक 07/08/2024 से तीन निर्जल उपवास एक आहार की साधना एवम
दिनांक 20/08/2024 से मुनि श्री की निरंतर निर्जल उपवास की साधना चल रहा है।
मुनि श्री का आज 33वा निर्जल उपवास है।
मुनि श्री अपनी उपवास की साधना के साथ साथ अपने छ: आवश्यको का पूर्ण निष्ठा के साथ पालन कर रहे है।
मुनि श्री कि सेवा में सकल जैन समाज नैनवा ही नहीं अपितु आस पास के ग्राम की जैन समाज के साथ मुनि संघ भी तन मन से सेवा में लगा हुआ है।
आज दिन तक ऐसी निर्जल उपवास की साधना के संदर्भ में मां जिनवाणी में पढा था दिगम्बर मुनिराजो की जिन देशना में सुना था पर आज मुनि श्री वही साधना सकल जैन समाज नैनवा को नहीं अपितु सम्पूर्ण भारत वर्ष की संपूर्ण जैन समाज को साक्षात दिखा रहे है।
हम सभी श्री जिनेंद्र प्रभु से प्रार्थना करे कि मुनि श्री के उपवास निर्विघ्न सम्पन्न हो साथ ही मुनि श्री का रत्नत्रय कुशल बना रहे।
सकल जैन समाज नैनवां के सामूहिक विशेष संचित पुण्य से ही ऐसी अदभुत कठोर साधना संपूर्ण जैन समाज के साथ साथ जैनेतर समाज को भी देखने को मिल रही है।उक्त समस्त जानकारी
सतीश कुमार जैन सेठिया जिनेद्र कुमार जैन नैनवा ने राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी पारस जैन पार्श्वमणि कोटा को प्रदान की। ऐसी साधना देखकर मेरे अंतर्मन में यही भाव विचार आते है।
धरती बीछोना है आसमान ओढ़ना है संयम तप और त्याग ही जिनका गहना है उन संविज्ञ सागर जी तपस्वी संत के बारे में बारे पार्श्वमणि ये कहना है। उनके पावन चरणों में रहना है।
राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी पारस जैन पार्श्वमणि ने आगे बताया कि मुनि श्री का जन्म देवी अहिल्या की नगरी इंदौर मध्य प्रदेश में 07/03/1985 को देव शास्त्र गुरु के भक्त श्री रवि किरण जी माता श्रीमती रानी शहा के घर आंगन में हुआ था।आपकी लौकिक शिक्षा आठवी तक है।आपकी दीक्षा 15/10/2021 को अंदेश्वेर पार्श्व नाथ तीर्थ क्षेत्र पर आचार्य 108 श्री सुनील सागर जी महामुनिराज के वरद हस्त कर कमलों द्वारा प्रदान की गई थी। इस अवसर पर चार्तुमास समिति अध्यक्ष विनोद जी मारवाड़ा उपाध्यक्ष विनोद जी बरमूंडा ओर बीस पंथ दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष श्री कमल जी मारवाड़ा उपस्थित थे।
प्रस्तुति
पारस जैन पार्श्वमणि कोटा
9414464980

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