नई शिक्षा नीति के सलाहकार थे आचार्य श्री

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(लालबहादुर केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में आचार्य विद्यासागर जी की विनयांजलि सभा )
नई दिल्ली ,23फरवरी 24,श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय(केंद्रीय) संस्कृत विश्वविद्यालय के जैनदर्शन विभाग में आचार्य श्री विद्यासागर मुनि महाराज जी की विनयांजलि सभा का भव्य आयोजन किया गया । जिसमें प्रथम प्रो अनेकांत कुमार जैन जी ने उनके व्यक्तित्व और कर्तृत्व  के बारे में बताते हुए उनको  वर्तमान का श्रेष्ठ तपस्वी व ज्ञानी आचार्य  और बहुत बड़ा साहित्यकार बताया । उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने जिस नई शिक्षा नीति को लागू किया है उसकी सलाहकार समिति में आचार्य श्री थे । आचार्य श्री मातृ भाषा के प्रबल पक्षधर थे इसलिए नई शिक्षा नीति में भी मातृ भाषा को महत्व दिया गया है । प्राकृत विभाग की प्रोफेसर कल्पना जैन जी ने आचार्य श्री के जीवन के संयम और साधना से प्रेरणा लेने की बात कही । प्रो.कुलदीप कुमार जी ने आचार्य श्री ज्ञान वह संयम के पथ पर चलने की प्रेरणा दी । शोधार्थी प्रशांत जैन ने कहा कि आचार्य श्री का प्रभाव बहुत था ,उनके प्रभाव से धर्म संस्कृति के संरक्षण का बहुत कार्य हो रहा था ।
अंत में
अध्यक्ष प्रो  वीरसागर जैन जी ने आचार्य श्री को ज्ञान और संयम में श्रेष्ठ बताते हुए कहा कि दिगंबर परंपरा के देदीप्यमान सूर्य  अस्त हो गया। उन्होंने ज्ञान  में , साहित्य में और संयम में सर्वोत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया। और उनकी आत्मा मोक्ष प्राप्त करें ऐसी मंगल भावना की।
सभा का संचालन शोधार्थी पारस जैन ने किया । सभा में अनेक अध्यापक ,शोधार्थी तथा विद्यार्थी उपस्थित थे ।

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