णमोकार मंत्र के स्मरण से संसार की सारी बढ़ाएं दूर होती है
नैनवा के शांति वीर धर्मस्थल स्थल पर प्रवचन सुनने उमड़े समाज जन
णमोकार मंत्र विधान के साथ अभिषेक को शांति धारा हुई
जैन मुनि प्रज्ञान सागर महाराज
जैन मुनि ने अपने प्रवचन में बताया की णमोकार मंत्र से ऊंचा कोई विश्व में विधान नहीं है इस मंत्र को श्रद्धा पूर्वक जपने से संसार की सारी बढ़ाएं दूर होती है ऐसा उन्होंने अपने उद्बोधन में बताया
पैसा हमारी जरूरत पूरी करता है खुशहाली नहीं दे सकता
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30 जुलाई बुधवार 2025
णमोकार महामंत्र के 17 वे दिन विधान में अपार भक्तों के द्वारा भगवान का अभिषेक शांति धारा पंचामृत अभिषेक किया
प्रज्ञान सागर महाराज ने बताया कि आज मैं जिस पद पर बैठा हूं यह मेरे गुरु विनिश्चय सागर महाराज का आशीष कृपा का जीता जागता उदाहरण है
मनुष्य को लग रहा है कि दिन प्रतिदिन आयु कम होती जा रही है घड़ी अपनी गति से प्रति सेकंड का समय ज्ञान करती है
मनुष्य जन्म को पाकर धन के पीछे दौड़ रहा है इतना दौड़ रहा है इतना दौड़ रहा है कि धन इकट्ठा करने में अपनी आत्मा को भूल गया है धन से उसे सुख शांति नहीं मिल रही
मनुष्य श्रीमती अपनी पत्नी के पीछे दौड़ रहा है उसकी जरूरत पूरी करते-करते सिर के बाल सफेद हो गए फिर भी उसकी आशाएं इच्छाएं आकांक्षा पूरी नहीं हुई
मनुष्य बुढ़ापा आने के लिए धन जोड़ जोड़कर इकट्ठा कर रहा है इस बात की कोई गारंटी नहीं कि तुम्हारा बुढ़ापा आएगा या नहीं वर्तमान में चैन नहीं मिल रहा वह धन किस काम का है
मुनि ने सिकंदर का उदाहरण देते हुए बताया कि उसके पास अथाक धन संपदा थी उसे मालूम था कि एक दिन संसार छोड़कर मुझे भी जाना है जब वह गया तब दोनों हाथ खाली थे वह कुछ भी साथ लेकर नहीं गया
महाराज ने यह भी बताया कि संसार में जिसने अपनी पांचो इंद्रियों को जीतकर विजय प्राप्त कर ली वह संसार में सुकून की नींद सोते हैं उन्हें धन दौलत परिवार से कुछ भी लेना-देना नहीं है वह दिगंबर संत हैं जिन्हें अपने आत्मा को परमात्मा बनाने के लिए यह मार्ग चयनित किया है
धन वाले व्यक्ति को दुनिया भर की बीमारियों ने घेर लिया शुगर ब्लड प्रेशर बीपी आदि से परेशान है उसे दो समय का अच्छा खाना भी नसीब नहीं हो रहा वह धन किस काम का है
भगवान का दीप प्रज्वलित पारस कुमार रमेश कुमार शंभू जैन मोडीका का परिवार द्वारा समिति ने माला तिलक पगड़ी बनाकर स्वागत सम्मान किया
एकता मे शक्ति है
प्रसिद्ध सागर महाराज ने बताया कि एकता ही सफलता की चाबी है हमारी आत्मा पर मोह रूपी ताला लगा हुआ है उसकी चाबी हमारे पास होने पर भी आत्मा का ताला नहीं खोल पा रहे
परिवार में चार भाई एक साथ रहने पर ही एकता का आवास होता है अलग-अलग रहने पर कोई भी कार्य संपन्न नहीं हो सकता एकता में विभाजन होना एक कमजोरी का लक्षण मुनि ने बताया
पाप की क्रिया में मनुष्य एक हो जाता है धर्म की क्रिया करने में अलग-अलग बट जाते हैं धर्म से विमुख होना ही पतन का कारण बताया
महावीर कुमार सरावगी
चातुर्मास प्रचार मंत्री