णमोकार मंत्र जैन धर्म का मूल आधार व विश्व कल्याणकारी:- आचार्य विनीत सागर

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णमोकार मंत्र जैन धर्म का मूल आधार व विश्व कल्याणकारी:- आचार्य विनीत सागर
कामवन के विजयमती त्यागी आश्रम में विराजमान दिगम्बर जैनाचार्य विनीत सागर महाराज ने गुरुभक्ति में प्रवचन देते हुए श्रावकों को णमोकार महामंत्र का महत्व बताते हुए कहा कि णमोकार मंत्र जैन धर्म का सबसे महत्वपूर्ण और अनादि महामंत्र है, जो पंच-परमेष्ठियों अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, साधु को नमस्कार करता है।जिससे मन को शांति, पापों का नाश, कर्मों का क्षय और अंततः मोक्ष की प्राप्ति होती है।
आचार्य ने कहा कि यह मंत्र भय-बाधाओं को दूर करता है और सभी प्राणियों का रक्षक माना जाता है, जिससे लौकिक व पारलौकिक दोनों लाभ मिलते हैं।
णमोकार मंत्र का महत्व
सर्वोच्च मंगल: इसे सभी मंगलों (शुभ कार्यों) में प्रथम और सर्वश्रेष्ठ माना जाता है, जो जीवन में सुख-समृद्धि लाता है और सभी प्रकार के कष्टों को हरता है।कर्म-क्षयकारी: इसके जाप से भारी से भारी कर्मों का बोझ हल्का होता है और बुरे कर्मों का नाश होता है, जिससे आत्मा शुद्ध होती है।मनोबल और शांति: नियमित जाप से मन शांत, स्थिर होता है, चिंता, तनाव और भय दूर होते हैं, और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।आत्म-कल्याण: यह मंत्र किसी व्यक्ति विशेष को नहीं, बल्कि शुद्ध आत्म-स्वरूप को नमस्कार करता है, जिससे आत्म-अनुभव और आत्म-शुद्धि होती है, जो मोक्ष का मार्ग है।सार्वभौमिक और सर्व-धर्म समभाव: यह किसी धर्म या व्यक्ति विशेष से बंधा नहीं है, बल्कि पंच-परमेष्ठी (उच्चतम आध्यात्मिक पदों) को नमन करता है, जो सभी धर्मों में पाए जाते हैं, इसलिए यह सार्वभौमिक है।भय-बाधा नाशक: इसे जपने से युद्ध, सर्प, सिंह, रोग, चोर, भूत-प्रेत आदि सभी प्रकार के लौकिक और अलौकिक भय दूर हो जाते हैं।लोकोत्तर मंत्र: यह लौकिक और लोकोत्तर (सांसारिक और आध्यात्मिक) दोनों कार्यों को सिद्ध करता है, जिससे सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
इसका सार यह है कि णमोकार मंत्र जैन धर्म का मूल आधार है, जो श्रद्धा, सही उच्चारण और समर्पण भाव से जपने पर जीवन को हर प्रकार से पवित्र और सफल बनाता है। उन्होंने कहा कि सभी को शुद्ध भाव से इस मंत्र का जाप्य करना चाहिए क्योंकि यह कल्याणकारी है। संजय सर्राफ ने बताया कि प्रतिदिन गुरु वंदना व भक्ति के कार्यक्रम जैन समाज द्वारा आयोजित किए जा रहे हैं।

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