पर्यूषण पर्व के दूसरे दिन रहा आध्यात्मिक वातावरण
मुरैना (मनोज जैन नायक) जैन धर्मावलंबियों का सबसे बड़ा पर्व पर्यूषण पर्व के पावन अवसर पर प्रथम दिन उत्तम क्षमा की पूजन अर्चन के पश्चात दूसरे दिन शुक्रवार 29 अगस्त को उत्तम धर्म का पूजन अर्चन किया गया ।
आत्मा के ज्ञान और श्रद्धान के साथ अहंकार का नाश करने से मार्दव धर्म प्राप्त होता है। यह समझना कि सभी जीवों के पास समान रूप से अनंत गुण हैं, मान करने के अवसर को कम करता है। दूसरों के प्रति विनय का भाव रखना, नम्रता का भाव रखना उत्तम मार्दव धर्म का एक महत्वपूर्ण अंग है। उत्तम मार्दव धर्म दशलक्षण महापर्व का दूसरा दिन है, जिसमें सभी अनुयायी अहंकार को त्यागकर विनम्रता का मार्ग अपनाने का संकल्प लेते हैं।
जैन धर्म में, मार्दव या करुणा या सर्वोच्च कोमलता या विनम्रता, जो सम्यक विश्वास का अंग है, उस अहंकार या अहंकार को नष्ट करने का एक साधन है जो हमारी आत्मा के गुणों को दूषित करने वाली अनेक बुराइयों को जन्म देता है । ऐसा माना जाता है कि विनम्रता ही करुणा का आधार और मोक्ष का आधार है।
नगर के श्री महावीर दि. नसियां जी जैन मंदिर में उत्सव जैसा माहौल था । सभी लोग भगवान जिनेंद्र प्रभु को नमन करते हुए उनका गुणगान कर रहे थे । आज उत्तम मार्दव दिवस पर पदमचंद जैन चैटा वालों के मार्गदर्शन एवं निर्देशन में श्री जिनेंद्र प्रभु का अभिषेक पूजन किया गया । इस अवसर पर भगवान श्री शांतिनाथ स्वामी का प्रथम अभिषेक एवं शांतिधारा करने का सौभाग्य राकेशकुमार, मनीषकुमार विकास जैन पलपुरा परिवार को एवं द्वितीय शांतिधारा करने का सौभाग्य महावीर प्रसाद अनिल जैन अंबाह वाले परिवार को प्राप्त हुआ । तत्पश्चात सभी श्रावक बंधुओं ने अभिषेक करने का सौभाग्य प्राप्त किया । अत्यंत ही भक्ति, श्रद्धा एवं विनय पूर्वक अष्टद्रव्य से श्री जिनेंद्र प्रभु, दसलक्षण पर्व एवं उत्तम मार्दव धर्म का पूजन किया । सभी भक्तों एवं पुजारियों ने अत्यंत ही विनय पूर्वक मूलनायक भगवान पार्श्वनाथ स्वामी एवं चंद्रप्रभु व महावीर भगवान के सिरमौर पर चांदी के छत्र समर्पित किए ।
दसलक्षण पर्व में जैन समाज की समस्त महिलाएं भी सामूहिक रूप से प्रभु की भक्ति कर रहीं थी । सभी लोग अपनी अपनी शक्ति एवं सामर्थ्य के अनुसार व्रत और संयम की साधना कर रहे हैं। एसी मान्यता है कि पर्यूषण पर्व में पूजन भक्ति करने से पापों का क्षय होता है ।