मुरैना की बेटी शारदा जैन समाधि की ओर अग्रसर

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आर्यिकारत्न पूर्णमति माताजी के ससंघ सान्निध्य में चल रही है समाधि

मुरैना (मनोज जैन नायक) नगर के श्रावक श्रेष्ठी जैन परिवार की बेटी ने जीवन के अंतिम समय में संयम की साधना को अंगीकार करते हुए समाधि की ओर कदम बढ़ाए हैं।
मुरैना के दत्तपुरा में निवासरत दिगम्बर जैसवाल जैन उपरोचियां समाज के श्रावक श्रेष्ठी कुहेले गोत्रिय स्व. श्री मनीराम कस्तूरी देवी जैन की सुपुत्री श्रीमती शारदा जैन ने जीवन के अंतिम समय में पूज्य गुरुमां आर्यिकारत्न श्री पूर्णमति माताजी से संयम की साधना को स्वीकारते हुए व्रत आदि ग्रहण किए ।
मुरैना की बेटी शारदा जैन का विवाह सन 1972 में जैसवाल जैन समाज केशरगंज अजमेर के श्रावक श्रेष्ठी ढिलवारी गोत्रिय श्रीमान चोखेलाल जी जैन के सुपुत्र महेशचंद जैन के साथ हुआ था । सुखमय पारिवारिक जीवन में आपको 4 पुत्र पुत्रियों की प्राप्ति हुई ।
देव शास्त्र गुरु की आराधना शारदा देवी प्रारंभ से ही करती थी । आपके माता पिता भी घर परिवार में रहकर सदैव श्री जिनेंद्र प्रभु की भक्ति के साथ सादगी पूर्ण जीवन व्यतीत करते हुए जैन संस्कृति का पालन करते थे । शारदा देवी अपनी सुसराल अजमेर में नियम संयम के साथ श्री जिनेंद्र प्रभु की भक्ति एवं जैन साधु साध्वियों के आहार विहार, वैयावृति में लीन रहती थी । अभी कुछ समय से उनका स्वास्थ्य खराब चल रहा था । देव शास्त्र गुरु की आराधक श्रीमती शारदा देवी ने अपना अंतिम समय निकट जानकर संयम के मार्ग को स्वीकार करने का निर्णय लिया ।
शारदा देवी के भाई ब्रह्मचारी महावीर प्रसाद जैन मुरैना सराकोद्धारक आचार्यश्री ज्ञानसागर जी महाराज एवं आचार्यश्री ज्ञेयसागर जी
महाराज के साथ संघस्थ रहकर संयम की साधना कर रहे हैं
मुरैना के श्रावक श्रेष्ठी महावीरप्रसाद विमल जैन बघपुरा (विमल रेडियोज) द्वारा प्रदत्त जानकारी के अनुसार श्रीमती शारदादेवी को उनकी इच्छा के अनुरूप संत शिरोमणि समाधिस्थ आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज की शिष्या आर्यिकारत्न श्री पूर्णमति माताजी (सूर्य नगर गाजियाबाद में चातुर्मासरत) के चरण सान्निध्य में लाया गया । शारदादेवी ने पूर्ण चेतना अवस्था में आचार्यश्री समय सागर जी महाराज के आशीर्वाद से आर्यिका माताजी के श्री चरणों में संयम की साधना हेतु श्रीफल समर्पित करते हुए दस प्रतिमाओं के व्रत स्वीकार किए । पूज्य आर्यिका माताजी ने उन्हें व्रत आदि देकर शांतमति नामकरण किया ।ससंघ सान्निध्य में समाधि की तैयारियां प्रारम्भ कर दी है ।
शारदा देवी ने अपनी भावना के अनुरूप गुरुमाँ आर्यिकाश्री पूर्णमति माताजी से दस प्रतिमाओं के व्रत स्वीकार कर, संयम के पावन पथ पर एक दृढ़ और दिव्य कदम बढ़ाया है। यह न केवल आत्मा की उन्नति का प्रतीक है, बल्कि भव-भव के कल्याण का भी शुभ संकेत है।
आपकी यह आध्यात्मिक उपलब्धि हम सभी के लिए भी प्रेरणास्पद है। आपका संयम मार्ग निरंतर पुष्ट और शुभफलदायी हो। आत्मा में स्थिरता, समता, और साधना दिन-प्रतिदिन विकसित होती रहे। इसी शुभ भावना के साथ सभी ने उनके इस पुनीत कार्य की बहुत-बहुत अनुमोदना करते हुए समता पूर्वक समाधि की भावना भाई है ।
आचार्यश्री समयसागरजी महाराज के आशीर्वाद से परम पूज्य गुरुमां आर्यिकारत्न पूर्णमति माताजी के ससंघ सान्निध्य में शारदा देवी की समाधि चल रही है ।

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