मुनि वैराग्य सागर व सुप्रभ सागर महाराज के सानिध्य में देवपुरा जैन मंदिर में शांतिसागर महाराज का समाधि दिवस मनाया गया

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आत्म चिंतन के साथ साथ संयम धारण करने से ही मिलती है मुक्ति: मुनि सुप्रभ सागर
बूंदी, 25 अगस्त। संभवनाथ दिगम्बर जैन मंदिर देवपुरा में सोमवार को मुनि वैराग्य सागर महाराज व मुनि सुप्रभ सागर महाराज के सानिध्य में जैन धर्म के प्रथमाचार्य चारित्र चक्रवर्ती आचार्य शांतिसागर महाराज का 70वां समाधि दिवस मनाया गया। इस अवसर पर मुनि सुप्रभ सागर महाराज ने उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शांतिसागर महाराज ने ही दिगम्बर जैन मुनि परम्परा को जीवित रखा है। अपने जीवन के अंत मंे संलेखना व्रत को धारण करने से पूर्व 22 मिनट के अंतिम उपदेश में उन्होंने कहा कि आत्म चिंतन के साथ साथ संयम धारण करने से ही मुक्ति मिलती है। आचार्य शांति सागर महाराज ने जैन धर्म के व्रतों को लेने के बाद नहीं तोड़ा और आज भी दिगम्बर जैन मुनि उन्हीं की चर्या पर चल रहे हैं।
धर्मसभा में मुनि वैराग्य सागर महाराज ने कहा कि जो व्यक्ति अपनी आत्मा का कल्याण करते हैं वह त्याग व संयम को धारण करने वाले व्यक्ति को देव की प्रयाय मिलती है।
चातुर्मास व्यवस्था समिति के मंत्री दिनेश बोरखंडिया ने बताया कि इससे पूर्व संभवनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में आचार्य शांतिसागर महाराज के चरण बनाकर उन पर शांतिधारा की गई। शांतिधारा सागरमल, सुनिल कुमार, भानू हरसौरा झुंवासा वालांे ने की। उसके बाद आचार्य शांतिसागर महाराज की अघ्र्य चढ़ाकर संगीतमय पूजन की। मंदिर व्यवस्था समिति के मंत्री ओमप्रकाश ठग ने बताया कि आचार्य शांतिसागर महाराज के चित्र का अनावरण देवपुरा पाठशाला के बालक-बालिकाओं ने किया। दीप प्रज्वलन संभवनाथ बालिका मंडल ने किया। संगीतकार शुभम जैन ने भजन गाए। सभी धार्मिक क्रियाएं ब्र. मनीष भैया ने संपन्न कराई।
चैगान जैन मंदिर में विराजमान आर्यिका सत्यमति माताजी व हेमश्री माताजी के सानिध्य में महिला मंडल बूंदी ने आचार्य शांतिसागर महाराज का समाधि दिवस मनाया। महिला मंडल अध्यक्ष चंद्रेश छाबड़ा ने बताया कि आचार्य शांतिसागर महाराज का चित्र अनावरण बिरधीचंद छाबड़ा परिवार ने किया तथा दीप प्रज्वलन संतोष पाटनी परिवार ने किया। अनिता दीदी ने आचार्य शांतिसागर महाराज के विषय को लेकर प्रश्न मंच किए।
रविन्द्र काला
जैन गजट संवाददाता, बूंदी

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