मुनि वैराग्य सागर व मुनि सुप्रभ सागर के सानिध्य में पांच दिवसीय आचार्य पद प्रतिष्ठापन कार्यक्रम संपन्न
-20वीं सदी के प्रथमाचार्य शांतिसागर महाराज के व्यक्तित्व परिचर्चा पर हुए विभिन्न आयोजन
-बा.ब्र. मनीष भैया व सागर से आए बा.ब्र. राकेश भैया ने कार्यक्रमों में की शिरकत
बूंदी, 8 अक्टूबर। दिगम्बर जैन समाज के 20वीं सदी के चारित्र चक्रवर्ती शांतिसागर महामुनिराज के आचार्य पद प्रतिष्ठापन समापन समारोह पर पांच दिवसीय व्यक्तित्व परिचर्चा का आयोजन मुनि वैराग्य सागर व मुनि सुप्रभ सागर महाराज के सानिध्य में देवपुरा में स्थित बघेरवाल छात्रावास के शांति सिंधु सभा मंडपम् में 3 अक्टूबर 25 से 7 अक्टूबर 25 तक हर्षोल्लास व भक्तिपूर्वक सआनंद संपन्न हुआ।
चतुर्मास व्यवस्था समिति के मंत्री दिनेश बोरखंडिया ने बताया कि धर्मप्रेमी समाजबंधुओं द्वारा प्रथमाचार्य शांतिसागर महाराज के चित्र पर दीप प्रज्वलन के साथ पांच दिवसीय कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इस कार्यक्रम के अंतर्गत प्रथम दिन पवन जैन सोनी, सीमा कोटिया, आकांक्षा जैन ने महामुनिराज के गृहस्थ जीवन वृत्ति जीवन एवं एलक, क्षुल्लक की दीक्षा पर प्रकाश डाला। दूसरे दिन आचार्यश्री के दक्षिण भारत से उत्तर भारत की ओर विहार पर वक्त्री अभिलाषा, मीनाक्षी, सुनीता जैन ने अपना वक्तत्व दिया। तीसरे दिन रविवार को आचार्यश्री की उपाधियों तथा व्रत उपवास एवं उनके द्वारा किए गए जाप पर रौनक जैन, सुरभि, अभिषेक, रितेश जैन ने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर देवली से आए श्रुत पाठशाला के बालक-बालिकाओं ने आचार्यश्री का वंदना पाठ करके उपस्थित जनसमूह को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसी क्रम में चैथे दिन सोमवार को आचार्यश्री के संलेखना की साधना पर किरण अंकुर जैन, उपसर्ग एवं परिसह जय का वर्णन सुरभि अंशुल जैन तथा आचार्यश्री के पट्टपरम्परा के आचार्य वर्धमान सागर महाराज के व्यक्तित्व व कृतित्व पर राजेन्द्र सुमन जैन ने अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम के पांचवें व अंतिम दिन खचाखच भरे पाण्डाल में आचार्य विद्यासागर महाराज के व्यक्तित्व पर देवेन्द्र जैन, ब्र. व्रत्त से लेकर आचार्य तक पर प्रियंका जैन तथा विद्याधर से आचार्य विद्यसागर तक पर बा.ब्र. मनीष भैया ने प्रकाश डाला। सागर से आए बा.ब्र. राकेश भैया ने संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महाराज के अवतरण दिवस पर विनयांजलि प्रस्तुत की।
चातुर्मास व्यवस्था समिति के उपसंयोजक सुरेश कोटिया व कोषाध्यक्ष जम्बू जैन ने बताया कि इस कार्यक्रम के अंतर्गत मुनि वैराग्य सागर महाराज व सुप्रभ सागर महाराज ने धर्मसभा में 20वीं सदी के प्रथमाचार्य चारित्र चक्रवर्ती शांतिसागर महाराज के व्यक्तित्व, ब्रह्म्चारी व्रत से लेकर आचार्य पद तक उनके दक्षिण भारत से उत्तर भारत के विहार में आने वाली परेशानी तथा उन पर हुए उपसर्ग पर विस्तार से बताया। पांचवें व अंतिम दिन शरद पूर्णिमा पर संत शिरोमणि आचार्यश्री विद्यासागर महाराज के अवतरण दिवस पर विस्तार से बताते हुए दोनों मुनि महाराजों ने बताया कि आचार्यश्री के दर्शन मात्र से सब कष्ट स्वतः ही दूर हो जाते थे तथा आचार्यश्री ‘‘मैं’’ शब्द के स्थान पर ‘‘हम’’ शब्द का उपयोग करते थे। उनकी और भी कई विशेषता बताते हुए मुनि वैराग्य सागर व मुनि सुप्रभ सागर महाराज सहित बा.ब्र. मनीष भैया व सागर से आए ब्रा.ब्र. राकेश भैया ने बहुत शानदान विनयांजलि प्रस्तुत की।
इस पांच दिवसीय कार्यक्रम में राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र, मेवाड़ क्षेत्र तथा मध्यप्रदेश के नीमच, सिंगोली सहित पूरे भारत वर्ष से धर्मावलम्बियों ने भाग लेकर धर्मलाभ लिया।
चातुर्मास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष पदम बरमुण्डा ने बताया कि इन पांचों दिन आचार्यश्री की संगीतमय अघ्र्य अर्पित करके पूजन व महाआरती की गई। इस अवसर पर आचार्यश्री के जीवन पर डाक्यूमेंट्री दिखाई। इन सभी कार्यक्रमों में युवा संगीतकार आयुष जैन ने भक्तिपूर्वक सभी धार्मिक कार्यक्रम संपन्न कराए। इस कार्यक्रम का संचालन कोटा से आई प्रमिला जैन, बा.ब्र. मनीष भैया, देवेन्द्र जैन चूचू ने किया।
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन बघेरवाल संघ के केंद्रीय अध्यक्ष महेन्द्र हरसौरा, बूंदी बघेरवाल प्रांतीय अध्यक्ष महावीर धनोप्या, भारतीय जैन संघटना के अध्यक्ष प्रदीप हरसौरा, अनिल जमीतपुरा, राजेन्द्र सामरिया, राजकुमार कोटिया, राजेन्द्र कुमार अजेता, विकास सबदरा, रौनक धानोत्या सहित युवा वर्ग व महिला वर्ग ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
रविन्द्र काला
जैन गजट संवाददाता, बूंदी
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