मुनि वैराग्य सागर महाराज व सुप्रभ सागर महाराज को नवीन पिच्छिका भेंट की बूंदी, 10 नवम्बर।

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:मुनि वैराग्य सागर महाराज व सुप्रभ सागर महाराज को नवीन पिच्छिका भेंट की
बूंदी, 10 नवम्बर। देवपुरा में स्थित बघेरवाल छात्रावास में गुरुवार6 नवंबर को मुनि वैराग्य सागर महाराज व मुनि सुप्रभ सागर महाराज का संयम के उपकरण पिच्छीका परिवर्तन का कार्यक्रम संपन्न हुआ।
मुनि सुप्रभ सागर महाराज ने पिच्छीका महत्व बताते हुए कहा कि दिगम्बर जैन साधु का संयम उपकरण पिच्छी और कमंडल है। यह जिनमुद्रा करुणा का प्रतीक है। पिच्छी और कमंडल दिगम्बर साधु के स्वावलंबन के दो हाथ होते हैं। इनके बिना अहिंसामय महाव्रत का पालन नहीं हो सकता। इस कारण समस्त दिगम्बर साधु पिच्छीका परिवर्तन करते हैं। मुनिश्री ने पिच्छी के गुण बताते हुए कहा कि यह धूल ग्रहण नहीं करती, लघुता रहती है, पसीना ग्रहण नहीं करती, सुकुमार झुकने वाली होती है। यहां तक भी देखा गया है कि मोरपंख यदि आंखों में लग जाए तो वह चुभता नहीं है। इससे आंसू नहीं आते, कष्ट भी नहीं होता। सबसे बड़ी बात यह है कि मयूर जब जंगल में नाचते है तो स्वयं पंख छोड़ते हैं, इस कारण कोई हिंसा भी नहीं होती। आज पिच्छी कमंडल रूपी संयम रथ निरंतर चल रहा है।
मुनि सुप्रभ सागर महाराज ने आगे बताया कि जिन्होंने साधुओं को संयम उपकरण पिच्छी देकर अनुमोदना की है, उन्होंने पुण्य का अर्जन किया है। मयूर पिच्छी से कोमल वस्तु संसार में नहीं है। इसके हाथ में आने के बाद जीवन में आनंद ही आनंद आ जाता है। साधु पिच्छीका से सूक्ष्म से सूक्ष्म जीवों की रक्षा करते हुए अहिंसा महाव्रत का पालन करते हैं।
इस अवसर पर मुनि वैराग्य सागर महाराज ने कहा कि गुरुमुख से प्राप्त ज्ञान से ही जीवन की सार्थकता मिलती है। धर्मगुरुओं से ही धर्म की प्रभावना बढ़ती है। उन्होंने कहा कि अन्य समाज के संत भी मोरपंखों से झाड़ने का कार्य करते हुए कई रोगों को दूर करते हैं। संतों के समागम मिलने से ही पुण्य के कार्य होते हैं। उन्होंने कहा प्राचीन प्रतिमाओं के दर्शन करने से अनंताअनंत तीर्थ वंदना का लाभ मिलता है जो प्राचीन प्रतिमाएं बूंदी के जिनालयों में विराजमान है।
चातुर्मास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष पदम बरमुण्डा, संयोजक कमल कोटिया, कोषाध्यक्ष जम्बू धानोत्या ने बताया कि मुनि वैराग्य सागर महाराज को नवीन पिच्छी नरेन्द्र कुमार, शांति बाई धानोत्या, राजेश मंजू पाटनी, नरेन्द्र मैना जैन चेता, अर्चना पत्नि नरेश कुमार कोटिया, श्रीमती प्रेम जैन धर्मपत्नि स्व. लालचंद श्रीमाल रजतगृह द्वारा भेंट की गई तथा मुनि सुप्रभ सागर महाराज को अशोक कुमार अक्षया जैन धानोत्या, राजेन्द्र कुमार गुड्डी जैन अजेता वाले, कमलेश सीमा कोटिया, सुरेश कुमार मंजू कोटिया, कुसुम जैन, सुनीता सेठिया ने भेंट की। दोनों मुनिराजों ने पुरानी पिच्छी देवेन्द्र सामरिया, विनोद कुमार, सीए अभिषेक जैन को दी।
आज की धर्मसभा का चित्र अनावरण व दीप प्रज्वलन बूंदी बघेरवाल प्रांत के अध्यक्ष महावीर धनोप्या तथा कोटा, सिंगोली से आए भक्तजनों ने किया। महाराजश्री का पाद प्रक्षालन चांदमल पुष्पेन्द्र कुमारा सिंगोली एवं शास्त्रदान गुरुभक्त परिवार देवपुरा ने किया। जैन संस्कार महिला मंडल एवं अन्य मंडलों ने पूर्वाचार्यों के अघ्र्य चढ़ाकर पूजन की।
इस अवसर पर बूंदी जैन गजट संवाददाता रविन्द्र काला द्वारा चातुर्मास में प्रकाशित समाचार पत्रांें का फोल्डर चातुर्मास व्यवस्था समिति को भेंट किया तथा उनका स्वागत एवं सम्मान किया गया।
धर्मसभा में सकल जैन समाज के संरक्षक ओमप्रकाश बड़जात्या, सीमा कोटिया, राजेन्द्र जैन अजेता, सुरेश कोटिया, पिंकी कोटिया, सीमा धानोत्या, चन्द्रकला बरमुण्डा, शानू कोटिया सहित मध्यप्रदेश, कोटा, सिंगोली, झाकला सहित मेवाड़ प्रांत के श्रद्धालु उपस्थित थे।
रविन्द्र काला जैन गजट संवाददाता

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