मुनि श्री पुण्य सागर जी महाराज ससंघ सान्निध्य में 48 दिवसीय भक्तामर विधान का 15वां दिवस और मुनि श्री महोत्सव सागर जी का 25वां उपवास

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धरियावद, 9 अगस्त। ज्ञानोपयोगी आचार्य 108 श्री अजीत सागर जी महाराज के शिष्य और वात्सल्य वारिधि आचार्य 108 श्री वर्द्धमान सागर जी महाराज के संघस्थ वात्सल्य मूर्ति मुनि 108 श्री पुमअय सागर जी महाराज ससंघ सान्निध्य में श्री क्षेत्र सिद्धांत तीर्थ संस्थान नंदनवन (धरियावद) में दिनांक 26 जुलाई से 48 दिवसीय श्री भक्तामर विधान पूजन की महाआराधाना चल रही है। इसका आयोजन 11 जुलाई सितंबर तक होगा। विधान मंडल पूजन में 15वें दिन मुनि श्री पुण्य सागर जी महाराज ने 15वें श्लोक की व्याख्या करते हुए आचार्य श्री मानतुंग देव के तीर्थंकर आदिनाथ प्रभु की अनन्य भक्ति की विवेचना के बारे में विस्तार से बताया।
मुनि 108 श्री पुण्य सागर जी महाराज के शिष्य संघस्थ परम तपस्वी मुनि 108 श्री महोत्सव सागर जी महाराज का आज लगातार 25वां उपवास चल रहा है। परम तपस्वी मुनिराज के चारित्र शुद्धि और ऐशना समिति के उपवास चल रहे हैं। महाराज पूर्व में तीन हजार से अधिक उपवास रख चुके हैं। महोत्सव सागर महाराज प्रज्ञा श्रमण मुनि श्री पुण्य सागर जी महाराज के गृहस्थ अवस्था के भाई भी हैं।
पुण्य सागर जी महाराज के संघ में ही धरियावद नगर गौरव मुनि 108 श्री उदित सागर जी महाराज भी  परम तपस्वी हैं। वे समय-समय पर 5, 10, 16, 32, 48 उपवास कर चुके हैं। आगामी भाद्रपद मास में दसलक्षण पर्व, सोलह कारण पर्व में उपवास करने का भाव भी रख रहे हैं। उदित सागर जी महाराज की तपस्या स्वरूप पुण्यशाली श्रावकों के चौके में चरण चिह्न अंकित हो रहे हैं। विगत माहों में कुशलगढ़, बांसवाड़ा, धरियावद और वर्तमान में नंदनवन में श्रावकों के चौके में चरण चिह्न अंकित हुए हैं।
वर्षायोग काल में श्री क्षेत्र संस्थान नंदनवन में समस्त कार्यक्रम संघस्थ ब्रह्मचारिणी वीणा दीदी ‘बिगुल’ एवं अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठाचार्य पंडित हंसमुख जैन के निर्देशन में संपन्न हो रहे हैं।

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