मुनी भक्त, समाज भूषण, कर्मयोगी माणीकचंद जी सेठी का देवलोक गमण

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शास्त्रों में लिखा है “जातस्य ध्रुवं मृत्यु” अर्थात जो जन्म लेता है उसका मरण आवश्यंभावी है। परंतु जो जन्म लेकर समाज, परिवार एवं धर्मक्षेत्र में अपना खून पसीना एक कर कर मृत्यु को वरण कर कर भी अमरता को प्राप्त होता है ।ऐसे ही मुनिभक्त, धर्म परायण, देव शास्त्र गुरु के प्रति समर्पित, दूरदृष्टा ,संकल्प को साकार रूप देने वाले माणीकचंद जी सेठी 22 मई 2024 को अमरता को प्राप्त हो गए। वे 91 वर्ष के थे।
आपका जन्म धोन्डराई जैसे एक छोटे से देहात में 22जुन 1933 के दिन हुआ था। परिवार की स्थिति अत्यंत दयनीय थी। बचपन में ही आपके पिताश्री नारायणदासजी की छत्रछाया आपसे दूर होने के कारण उम्र के 11 वर्ष की आयु में ही परिवार की जिम्मेदारी आप ने छोटी सी किराना दुकान के माध्यम से संभाली ,जिसने आज विशाल रूप धारण कर लिया। आपके पदचिन्हो पर चलकर आपके होनहार ,सुसंस्कारी पुत्र महावीर ,प्रकाश एवं राजेंद्र आज एक सफलतम उद्यमी बनकर समाज में अपना नाम रोशन कर रहे हैं । और आपकी चार पुत्रिया पुष्पा विजयजी कासलीवाल नांदेड़, प्रमिला सुनीलजी कासलीवाल मनमाड , इंदिरा संजयजी कासलीवाल नांदेड़,भारती जिनेंद्रजी पहाड़िया अमेरिका( यूएसए) अपना सुखी संसार व्यतीत कर रही है।
किसी भी व्यक्ति की ऊंचाईया मापने के तीन पैमाने होते है ।हृदय की विनम्रता , मधुरता, एवं उदारता। और यह तीनों विशेषताएं आपमें कूट-कूट कर भरी हुई थी। माणीकचंद जी सेठी ने हर पल मानव कल्याण पुनीत भावना को अपने दामण मे संजोकर रखा था। आपकी आंखों में जहां हर पल प्रेम टपकता था वही मुखारविंद से अमृत की बौछार होती थी ।आपकी पुनीत भावना ने विसंगति भरे परिवार को, समाज को, आपके द्वार पर आने वाले प्रत्येक जरूरतमंद को नई दिशा देने का, उचित मार्गदर्शन एवं सहयोग करने का हर पल प्रयास किया था।
माणीकचंद जी सेठी बचपन से ही नित्य नियम से देव दर्शन ,पूजा पाठ करते थे ।औरंगाबाद शहर में आने वाले सभी साधुगण, त्यागीवृतियों की आप वैयावृति करते थे ।आचार्य सन्मति सागरजी, आचार्य वर्धमान सागर जी, आचार्य विशुद्धसागरजी के आप अनन्य साधारण भक्त थे। उनसे आपने आजन्म शुद्रजल का नियम भी लिया था। मृत्यु के एक माहपूर्व ही आपने आचार्य देवनंदी जी के तत्वावधान में सिद्ध चक्र विधान का अभूतपूर्व, अद्वितीय, ऐतिहासिक भव्य आयोजन किया था। जिसमें आपने सभी परिवार को एकत्रित किया था।
आपने श्रीक्षेत्र कचनेरजी,जटवाड़ाजी , धर्मतीर्थ, णमोकार तीर्थ ,पाचालेश्वर आदी अनेक क्षेत्रो में एवं अपनी उदारता का परिचय दिया। श्री उत्तमचंद ठोले छात्रालय ,पी यू जैन स्कूल ,त्यागी भवन के निर्माण में आपने विशेष सहयोग किया है ।
आप श्री भारतवर्षीय दिगंबर जैन महासभा महाराष्ट्र प्रांत के पूर्वअध्यक्ष स्वर्गीय पी यु जैन,एवं वर्तमान अध्यक्ष डी यु जैन की जीजाजी थे। स्वर्गीय निर्मलजी सेठी एवं महासभा के अध्यक्ष गजराज जी गंगवाल से आपका विशेष स्नेह सम्बन्ध रहा। पीयु जैन स्कूल के अध्यक्ष तथा महासभा के सक्रिय कार्यकर्ता महावीर सेठी के आप पिताश्री है। मरणोपरांत आपके परिवार ने आपके पुण्यस्मृति मे अनेक संस्थाओ को विशाल दानराशी की घोषणा की और आपने नेत्रदान भी किया। जैन गजट पत्रिका को अआपने ₹2100 की घोषणा की है। आपको श्री भारतवर्षीय दिगंबर जैन महासभा की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
महावीर दीपचंद ठोले छत्रपतीसंभाजीनगर,महामन्त्री तीर्थ संरक्षिणी महासभा (महा)

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