पंचम काल में मोक्ष संभव नहीं है——- श्री क्षीरसागर महाराज
भीलवाड़ा, 21 अप्रैल- बापू नगर स्थित श्री पदम प्रभु दिगंबर जैन मंदिर में ऐलक क्षीरसागर महाराज के सानिध्य में बड़े बाबा मूलनायक श्री पदम प्रभु भगवान का महामस्तकाभिषेक हुआ।
अध्यक्ष लक्ष्मीकांत जी ने बताया कि प्रातः श्री पदम प्रभु भगवान सहित सभी प्रतिमाओं का महामस्तकाभिषेक करने के बाद क्षीरसागर महाराज के मुखारविंद से शांतिधारा का पाठ वाचन द्वारा चांदमल जैन एवं लक्ष्मीकांत जैन ने पदम प्रभु, ताराचंद अग्रवाल ने आदिनाथ, विकास गंदेरिया ने मुनिसुव्रतनाथ भगवान की शांतिधारा की। तथा अन्य प्रतिमाओं पर भी शांतिधारा की गई। ऐलक क्षीरसागर महाराज ने धर्म सभा को संबोधित करते प्रश्न के उत्तर में कहा कि पंचम काल में मोक्ष संभव नहीं है। यह जैन धर्म की एक मान्यता है। इसका अर्थ है कि इस समय में आत्माओं को पूर्ण मुक्ति नहीं मिल सकती है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मोक्ष की यात्रा को त्याग देना चाहिए। उन्होंने कहा कि श्रावकों को अभी भी आत्म सुधार, धार्मिक सिद्धांतों का पालन और अन्य लोगों की मदद करने जैसे कार्य पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पंचम काल में ऐसा समय है जब दुनिया में बुराई और अनैतिकता अधिक है। मोक्ष प्राप्त करना कठिन है। पंचम काल में साधुओं की सेवा और वह जरूरतमंद को भोजन दान करना चाहिए। क्रोध, मोह और घृणा जैसे नकारात्मक भावनाओं पर नियंत्रण रखना महत्वपूर्ण कार्य है। मुनि ने कहा श्रावकों कोअपने जीवन में धार्मिक सिद्धांतों का पालन करना, आत्म सुधार कार्यो के माध्यम से मोक्ष मार्ग की ओर बढ़ सकते हैं।
प्रचार मंत्री प्रकाश पाटनी ने बताया कि सायंकाल जिनेंद्र देव की आरती के बाद क्षीरसागर महाराज द्वारा प्रश्नों का समाधान किया जा रहा है। रात्रि 8:00 बजे वैयावृत्ति होती हैं।
प्रकाशनार्थ हेतु। प्रकाश पाटनी
प्रचार एवं संगठन मंत्री
भीलवाड़ा।